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माघ पूर्णिमा 2019: आज माघ पूर्णिमा में जाने कथा और पूजा विधि के बारे में

जयपुर। माघ महीने में आने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। माघ माह को सबसे शुभ माह माना जाता है। आज माघ पूर्णिमा है आज श्रद्धालु पवित्र नदीं में डूबकी लगाएंगे व दान पुण्य करेंगे। माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान और धूप-दीप का बहुत महत्व माना जाता है। आज हम इस लेख में
माघ पूर्णिमा 2019: आज माघ पूर्णिमा में जाने कथा और पूजा विधि के बारे में

जयपुर। माघ महीने में आने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। माघ माह को सबसे शुभ माह माना जाता है। आज माघ पूर्णिमा है आज श्रद्धालु पवित्र नदीं में डूबकी लगाएंगे व दान पुण्य करेंगे। माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान और धूप-दीप का बहुत महत्व माना जाता है। आज हम इस लेख में माघ पूर्णिमा की पूजा विधि व कथा के बारे में बता रहें हैं।

माघ पूर्णिमा 2019: आज माघ पूर्णिमा में जाने कथा और पूजा विधि के बारे में

पूर्णिमा तिथि तिथि

पूर्णिमा आरंभ: 18 फरवरी 2019, सोमवार रात 01:12 बजे।
पूर्णिमा समाप्त: 19 फरवरी 2019, मंगलवार 09:24 बजे।

माघ पूर्णिमा 2019: आज माघ पूर्णिमा में जाने कथा और पूजा विधि के बारे में

माघ पूर्णिमा व्रत की कथा

नर्मदा नदी के तट पर शुभव्रत नाम का ब्राह्मण रहता था। शुभव्रत बहुत ही विद्वान और सज्जन था लेकिन इसमें लालच की बुरी आदत थी। लालच के कारण ही इनके जीवन का लक्ष्य केवल धन कमाना था। लेकिन धीरे धीरे ये कई बीमारियों से ग्रसित होकर शारीरिक पीड़ा और मानसिक पीड़ा के कारण परेशान रहने लगें।

माघ पूर्णिमा 2019: आज माघ पूर्णिमा में जाने कथा और पूजा विधि के बारे में

एक दिन शुभव्रत दर्द से तड़प रहे थे उस समय इनको ध्यान आया कि उन्होंने अपना पूरा जीवन धन में लगा दिया अब उनके जीवन का उद्धार कैसे होगा?  जब शुभव्रत यह सवाल पूछ रहे थे, तभी उन्हें माघ के महीने के महत्व का ध्यान आया। इस माह में नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद वहीं किनारे पर पूजा-पाठ करने लगें। ऐसा करते हुए उन्हें अभी मात्र 9 ही दिन हुए थे इनका स्वास्थ्य बहुत अधिक खराब हो गया।

माघ पूर्णिमा 2019: आज माघ पूर्णिमा में जाने कथा और पूजा विधि के बारे में

शुभव्रत सोचने लगे कि कोई पुण्य न करने के कारण उनको नरक की यातना भोगनी पड़ेगी। लेकिन मृत्यु के बाद उन्हें बैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई। जब उन्होंने श्रीहरि से स्वयं को बैकुंठ मिलने का कारण पूछा तो भगवान विष्णु ने कहा – शुभव्रत, मानव जीवन में कभी तुमने कोई सद्कार्य नहीं किया लेकिन तुम अनिष्ट करने से भी बचे रहे। दूसरों को पीड़ा पहुंचाने का कार्य तुमने नहीं किया। साथ ही माघ के महीने में नदी के पवित्र जल में स्नान करके पूजा-पाठ और ध्यान से जो तुमने पुण्य अर्जित किया है,  जिसके कारण तुम्हें बैकुंठ की प्राप्ति हुई।

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