मां सिद्धिदात्री की इस आरती से होगी हर मुराद पूरी
आपको बता दें, कि हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को बहुत ही खास माना जाता हैं नवरात्रि के नवम दिन मां के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री देवी की पूजा अर्चना और आराधना की जाती हैं देवी माता सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान रहती हैं और इनका वाहन सिंह हैं मां की चार भुजाएं हैं यह अपने हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल पुष्प धारण करती हैं देवी सिद्धिदात्री प्रसन्न होने पर भक्तों को मनोवांछित फल और सिद्धियां प्रदान करती हैं ऐसा भी कहा जाता हैं भगवान शिव को अष्टसिद्धियां देवी सिद्धिदात्री से ही मिली हैं। वही हिंदू धर्म शास्त्रों में कहा गया हैं कि माता सिद्धिदात्री से सिद्धियां पाने के लिए प्रतिपदा से नवमी तिथि तक माता के सभी रूपों की आराधना करनी चाहिए। सभी देवियों के प्रसन्न होने पर ही माता सिद्धिदात्री की कृपा व्यक्ति को प्राप्त होती हैं वही वहज हैं कि नवरात्रि के अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा आराधना की जाती हैं। वही नवरात्रि के नवम दिन माता सिद्धिदात्री की आरती अवश्य करें।
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता ।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि ।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम ।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है ।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ।।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो ।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।
तू सब काज उसके करती है पूरे ।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया ।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ।।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली ।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।