Samachar Nama
×

जब भगवान बुद्ध ने समझाया शिष्यों को सत्संग का महत्व

गौतम बुद्ध ने चार सूत्र दिए हैं उन्हें चार आर्य सत्य कहते हैं पहला दुख है, दूसरा दुख का कारण, तीसरा दुख का निदान और चौथा मार्ग, जिससे दुख का निवारण होता हैं बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग माध्यम हैं जो दुख के निदान का मार्ग बताता हैं। उनका यह अष्टांगिक मार्ग ज्ञान, संकल्प, वचन, कर्म, आजीव, व्यायाम, स्मृति और समाधि के सन्दर्भ में सम्यकता से साक्षात्कार कराता हैं।
जब भगवान बुद्ध ने समझाया शिष्यों को सत्संग का महत्व

भगवान गौतम बुद्ध जीवन को सही मार्ग दिखाने का काम करते हैं गौतम बुद्ध ने चार सूत्र दिए हैं उन्हें चार आर्य सत्य के नाम से भी जाना जाता हैं पहला दुख है, दूसरा दुख का कारण, तीसरा दुख का निदान और चौथा मार्ग वह है, जिससे दुख का निवारण होता हैं भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग माध्यम हैं Image result for गौतम बुद्धजो दुख के निदान का मार्ग बताता हैं। उनका यह अष्टांगिक मार्ग ज्ञान, संकल्प, वचन, कर्म, आजीव, व्यायाम, स्मृति और समाधि के सन्दर्भ में सम्यकता से साक्षात्कार कराता हैं। वही गौतम बुद्ध रोज अपने शिष्यों और भक्तों को उपदेश दिया करते थे।Image result for गौतम बुद्ध वे अपने उपदेशों में जीवन में सुख शांति बनाए रखने के सूत्र बताते थे। मगर इन उपदेशों का लाभ कुछ ही शिष्यों को प्राप्त होता हैं एक दिन उनके एक शिष्य ने प्रश्चन किया तथागत क्या आपके सत्संग सुनने वाले सभी लोगों का कल्याण होता हैं गौतम बुद्ध ने कहा कि कुछ का होता हैं और कुछ का नहीं होता हैं शिष्य ने पूछा मगर ऐसा क्यों। जब भगवान बुद्ध ने समझाया शिष्यों को सत्संग का महत्ववही इस सवाल का उत्तर देते हुए बुद्ध जी ने एक सवाल पूछा कि अगर कोई मनुष्य तुमसे कहीं का रास्ता पूछे और तुम्हारे रास्ता बताने के बाद भी वह भटक जाए तो। शिष्य ने कहा कि मेरा काम सिर्फ उसे रास्ता बताने का था, अगर वह फिर भी भटक जाता हैं तो मैं क्या कर सकता हूं। गौतम बुद्ध जी ने कहा कि इसी तरह मेरा काम लोगों का मार्गदर्शन करने का हैं। मैं केवल सही गलत का भेद बता सकता हूं। मैं जो सूत्र बताता हूं। उन्हें अपनाना है या नहीं हैं, ये निर्ण लोगों को ही करना होता हैं।Image result for गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध ने चार सूत्र दिए हैं उन्हें चार आर्य सत्य कहते हैं पहला दुख है, दूसरा दुख का कारण, तीसरा दुख का निदान और चौथा मार्ग, जिससे दुख का निवारण होता हैं बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग माध्यम हैं जो दुख के निदान का मार्ग बताता हैं। उनका यह अष्टांगिक मार्ग ज्ञान, संकल्प, वचन, कर्म, आजीव, व्यायाम, स्मृति और समाधि के सन्दर्भ में सम्यकता से साक्षात्कार कराता हैं। जब भगवान बुद्ध ने समझाया शिष्यों को सत्संग का महत्व

Share this story