Samachar Nama
×

Lalita jayanti vrat katha: कल मनाई जाएगी ​ललिता जयंती, पूजन के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही पंचांग के मुताबिक माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ललिता जयंती मनाई जाती हैं इस साल यह तिथि कल यानी 27 फरवरी दिन शनिवार को पड़ रही हैं इस दिन मां ललिता की पूजा आराधना की जाती हैं इन्हें दस
Lalita jayanti vrat katha: कल मनाई जाएगी ​ललिता जयंती, पूजन के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही पंचांग के मुताबिक माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ललिता जयंती मनाई जाती हैं इस साल यह तिथि कल यानी 27 फरवरी दिन शनिवार को पड़ रही हैं इस दिन मां ललिता की पूजा आराधना की जाती हैं इन्हें दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना गया हैं इनकी पूजा करते समय व्रत कथा का पाठ करना जरूरी होता हैं तो आज हम आपको ललिता जयंती की व्रत कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।Lalita jayanti vrat katha: कल मनाई जाएगी ​ललिता जयंती, पूजन के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

जानिए व्रत कथा—
पौराणिक कथा के मुताबिक मां ललिता का वर्णन देवी पुराण में मिलता हैं एक बार नैमिषारण्य में यज्ञ हो रहा था। इसी दौरान दक्ष प्रजापति भी वहां आए और सभी देवगण उनके स्वागत के लिए खड़े हो गए। मगर उनके वहां आने के बाद भी शिव नहीं उठे। दक्ष प्रजापति को यह अपमानजनक लगा। ऐसे में इस अपमान का बदला लेने के लिए दक्ष प्रजापति ने शिव जी को अपने यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया।Lalita jayanti vrat katha: कल मनाई जाएगी ​ललिता जयंती, पूजन के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

जब इस बात का पता मां सती को चला तो वो शिव की अनुमति लिए बिना ही अपने पिता यानी दक्ष प्रजापति के घर पहुंच गईं। वहां उन्होंने अपने पिता के मुंह से शंकर जी की निंदा सुनी, उन्हें बेहद ही अपमानित महसूस हुआ और उन्होंने उसी अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राणों को त्याग दिया। Lalita jayanti vrat katha: कल मनाई जाएगी ​ललिता जयंती, पूजन के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथाजब इस बात का पता शिव को चला तो वह बहुत ही व्याकुल हो उठे। उन्होंने माता सती के शव को कंधे पर उठाया और उन्मत भाव से इधर उधर घूमना शुरु कर दिया। विश्व की पूरी व्यवस्था छिन्न भिन्न हो गई। ऐसे में विवश हो शिव जी ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। उनके अंग जहां जहां गिरे वह उन्हीं आकृतियों में उन स्थानों पर विराजमान हुईं। यह उनके शक्तिपीठ स्थल के नाम से विख्यात हुए।Lalita jayanti vrat katha: कल मनाई जाएगी ​ललिता जयंती, पूजन के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

नैमिषारण्य में मां सती का ह्रदय गिरा। नैमिष एक लिंगधारिणी शक्तिपीठ स्थल हैं यहां लिंग स्वरूप में शिव की पूजा होती हैं साथ ही यहां ललिता देवी की पूजा भी की जाती हैं शिव को ह्रदय में धारण करने पर सती नैमिष में लिंगधारिणीनाम से विख्यात हुईं इन्हें ही ललिता देवी के नाम से जाना जाता हैं।Lalita jayanti vrat katha: कल मनाई जाएगी ​ललिता जयंती, पूजन के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

 

Share this story