Kumbh shahi snan: क्यों खास है कुंभ का शाही स्नान, जानिए महत्व और परंपरा
हिंदू धर्म में कुंभ स्नान को बहुत ही खास माना जाता हैं वही कुंभ का शाही स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं इस दौरान खास समय पर अखाड़े के साधु पवि नदी के जल में स्नान करते हैं इनके बाद आम जनता भी डुबकी लगाती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख के द्वारा बताने जा रहे है कि कुंभ का शाही स्नान क्यों खास होता हैं और इसका महत्व क्या हैं तो आइए जानते हैं। हरिद्वार में कुंभ मेले की तैयारी अपने अंतिम चरण में हैं हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता हैं मगर इस बार कुंभ मेले का आयोजन एक साल पहले यानी साल 2021 में हो रहा हैं साल 2022 में गुरु, कुंभ राशि में नहीं होंगे। इसलिए इस बार 11वें साल में कुंभ का आयोजन हो रहा हैं इस साल 13 जनवरी 2021 यानी मकर संक्रांति से कुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा हैं इस बार पहला शादी स्नान 11 मार्च शिवरात्रि के दिन, दूसरा शादी स्नान 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या, तीसरा मुख्य शादी स्नान 13 अप्रैल मेष संक्रांति के अवसर पर और चौथा शादी स्नान 27 अप्रैल बैसाख पूर्णिमा पर होगा।
कुंभ आस्था और अध्यात्म का विश्व का सबसे बड़ा जमावड़ा हैं कुंभ का आयोजन चार में से किस स्थान पर होगा यह नक्षत्र और राशियां निर्धारित करती हैं इन चार स्थानों में हरिद्वार में गंगा तट, प्रयागरज में गंगा यमुना सरस्वती का संगम तट, नासिक में गोदावरी तट और उज्जैन में शिप्रा नदी का तट हैं। इस साल 11 मार्च 2021 में शिवरात्रि के अवसर पर कुंभ मेला का पहला शादी स्नान आयोजित किया जाएगा।
कुंभ स्नान का विशेष धार्मिक महत्व होता हैं मान्यता है कि कुंभ स्नान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष प्राप्त होता हैं कहते है कि कुंभ स्नान से पितृ भी शांत हो जाते हैं और अपना आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं।