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सुबह उठते ही करनी चाहिए भूमि वंदना

हिंदू धर्म शास्त्रों में पृथ्वी की वंदना, मां कहकर की गई हैं अत यह आदरणीय हैं वही सनातन धर्म में सुबह उठते ही धरती को दाएं हाथ से स्पर्श कर हथेली को माथे से लगाने की पुरानी परंपरा हैं क्योंकि धरती हमारे लिए मातृ स्वरूप मानी जाती हैं। माता के समान पूजनीय होने से भूमि पर पैर रखना भी दोष का कारण माना जाता हैं पर भूमि स्पर्श से तो कोई अछूता नहीं रह सकता हैं यही वजह हैं कि हमारे धर्म शास्त्रों में उस पर पैर रखने की विवशता के लिए एक विशेष मंत्र के द्वारा क्षमा प्रार्थना करना बहुत ही जरूरी माना जाता हैं।
सुबह उठते ही करनी चाहिए भूमि वंदना

हिंदू धर्म शास्त्रों में पृथ्वी की वंदना, मां कहकर की गई हैं अत यह आदरणीय हैं वही सनातन धर्म में सुबह उठते ही धरती को दाएं हाथ से स्पर्श कर हथेली को माथे से लगाने की पुरानी परंपरा हैं क्योंकि धरती हमारे लिए मातृ स्वरूप मानी जाती हैं।सुबह उठते ही करनी चाहिए भूमि वंदना

वही माता के समान पूजनीय होने से भूमि पर पैर रखना भी दोष का कारण माना जाता हैं पर भूमि स्पर्श से तो कोई अछूता नहीं रह सकता हैं यही वजह हैं कि हमारे धर्म शास्त्रों में उस पर पैर रखने की विवशता के लिए एक विशेष मंत्र के द्वारा क्षमा प्रार्थना करना बहुत ही जरूरी माना जाता हैं। आइए जानते हैं, कि वो मंत्र कौन सा हैं।सुबह उठते ही करनी चाहिए भूमि वंदना

समुद्र-वसने देवि, पर्वत-स्तन-मंडिते ।
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं, पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे ॥

आपको बता दें, कि स्टेज पर कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करने से पूर्व धरती को छूकर प्रणाम करते हैं वही मंदिर में प्रवेश करने से पहले भी धरती को छूकर आर्शीवाद लिया जाता हैं कहीं कही तो जा भी बच्चे को नया वस्त्र पहनाने से पहले कपड़े को धरती से स्पर्श करवाया जाता हैंसुबह उठते ही करनी चाहिए भूमि वंदना यह सब धरती मां की मानसिक पूजा का ही एक रूप हैं। वही कोई भी पूजा अनुष्ठान आरम्भ करने से पहले उस जगह को धोकर, जल छिड़क कर, मांडना बनाकर मूर्ति, कलश, दीपक या फिर पूजा की थाली रखी जाती हैं वही मकान दुकान आदि के निर्माण कार्य में सर्वप्रथम भूमि पूजन ही किया जाता हैं वही विशेष मंत्रों के द्वारा मां भूमि से प्रार्थना की जाती हैं। धरती मां की पूजा बहुत ही मंगलकारी मानी जाती हैं।

हिंदू धर्म शास्त्रों में पृथ्वी की वंदना, मां कहकर की गई हैं अत यह आदरणीय हैं वही सनातन धर्म में सुबह उठते ही धरती को दाएं हाथ से स्पर्श कर हथेली को माथे से लगाने की पुरानी परंपरा हैं क्योंकि धरती हमारे लिए मातृ स्वरूप मानी जाती हैं। माता के समान पूजनीय होने से भूमि पर पैर रखना भी दोष का कारण माना जाता हैं पर भूमि स्पर्श से तो कोई अछूता नहीं रह सकता हैं यही वजह हैं कि हमारे धर्म शास्त्रों में उस पर पैर रखने की विवशता के लिए एक विशेष मंत्र के द्वारा क्षमा प्रार्थना करना बहुत ही जरूरी माना जाता हैं। सुबह उठते ही करनी चाहिए भूमि वंदना

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