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कुंभ मेला 2019: जानिए कब से और कैसे शुरु हुआ कुंभ मेला

जयपुर। अर्ध कुंभ का आयोजन अगले साल जनवरी में होने जा रहा है, हिन्दू धर्म में कुंभ का बड़ा महत्व है। कुंभ के दौरान गंगा स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। कुंभ में देश के अलग अलग हिस्से से लोग आते हैं। कुंभ मेला 2019 का आयोजन प्रयाग में किया जा रहा है,
कुंभ मेला 2019: जानिए कब से और कैसे शुरु हुआ कुंभ मेला

जयपुर। अर्ध कुंभ का आयोजन अगले साल जनवरी में होने जा रहा है, हिन्दू धर्म में कुंभ का बड़ा महत्व है। कुंभ के दौरान गंगा स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। कुंभ में देश के अलग अलग हिस्से से लोग आते हैं।  कुंभ मेला 2019 का आयोजन प्रयाग में किया जा रहा है,  इस बार कुंभ 14 जनवरी  2019  से 4 मार्च  2019 तक चलेगा। हमारे देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले कुंभ के आयोजन की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। वैसे कुंभ का आयोजन कब से और कैसे हुआ इस बारे में सही सही कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

कुंभ मेला 2019: जानिए कब से और कैसे शुरु हुआ कुंभ मेला

इतिहास में कुम्भ के मेले के बारे में सबसे पुरानी जानकारी महाराजा हर्ष के समय में मिलती है, इस बारे में चीनी यात्री ह्रेनसान ने ईसा की सांतवी शताब्दी में अपने आंखो देखा वर्णन किया है।  ऐसी मान्यता है कि 7 हजार धनुष निरन्तर मां गंगा की रक्षा करते-रहते है, इन्द्र पूरे प्रयाग की रक्षा करते है। इसके साथ ही विष्णु भीतर के मण्डल की रक्षा करते है व अक्षयवट की रक्षा शिव जी करते है। प्रयागराज में एक माह तक सत्य, अहिंसा और ब्रहमचर्य का पालन करने से व्यक्ति को अपने जीवन में असीम ऊर्जा की प्राप्ती होती है।

कुंभ मेला 2019: जानिए कब से और कैसे शुरु हुआ कुंभ मेला

कुंभ से संबंधित प्रचलित कथा इस प्रकार है, समुद्र मन्थन से अमृत कुम्भ के निकलने पर असुर उसे पान के लिए देवताओं पर टूट पड़े, लेकिन इन्द्र का पुत्र जयन्त उस अमृत के घड़े को लेकर निकल गया। यह भाग-दौड़ दिव्य 12 दिन यानि मनुष्य के 12 वर्ष तक चली। इन 12 दिव्य दिनों में चार स्थानों पर चार बार राक्षसों ने जयन्त को पकड़ा और उससे अमृत घड़ा छीनने की कोशिश की किन्तु उसी समय सूर्य चन्द्र और बृहस्पति ने उन चारों स्थानों पर जयन्त का साथ देकर अमृत कुम्भ की रक्षा की। उस समय कलश पाने के चक्कर में खींचा-तानी में अमृत की कुछ बॅूदें उन चारों स्थानों पर गिरी जिनमें 1- प्रयाग, 2- हरिद्वार, 3-नासिक (गोदावरी) 4- उज्जैन है।

कुंभ मेला 2019: जानिए कब से और कैसे शुरु हुआ कुंभ मेला

अमृत कलश की रक्षा करते समय सूर्य, चन्द्र और गुरू जिन राशियों में स्थित थे, उसी राशि पर इन तीनों के होने पर चारों पुण्य क्षेत्रों में कुम्भ महापर्व होता है। गुरू बृहस्पति ने राक्षसों से अमृत कुम्भ की रक्षा की,  सूर्य ने घड़े को फूटने से बचाया और चन्द्रमा ने घटस्थ अमृत को गिरने से बचाया, इसी कारण इन तीनों का कुम्भ महापर्व से गहरा सम्बन्ध माना जाता है।

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