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जानिए क्या है कर्ण छेदन संस्कार के पीछे का साइंटिफिक कारण ?

कर्ण छेदन का संबंध हमारे पेट से भी होता है अपने देखा होगा कई लोग कान और उसके ऊपर ताक छेद कर के बालियाँ या लौंग पहना करते हैं यह हमरे पेट की बीमारियों के लिए होता है यह उसके लिए एक्यूपंचर का काम करता है । कान के जिस खास बिन्दु पर छेद किया जाता है वह शरीर की पाचन प्रणाली से संबंधित होता है जिसकी वजह से हाजमा दुरूस्त रहता है वजन बढ़ने की संभावना कम होती है।
जानिए क्या है कर्ण छेदन संस्कार के पीछे का साइंटिफिक कारण ?

 

जयपुर । हिन्दू धर्म में 16 संस्कार होते हैं । यह संस्कार पैदा होने से ले कर शादी और बच्चों के होने तक सभी कार्यों को मिला कर होते हैं । जब बच्चा पैदा होता है तब से लेकर वह 12 साल का होता है वहाँ तक लगभग 12 -13 संस्कार पूरे कर लिए जाते हैं जैसे की अन्नप्राशन , मुंडन , शिक्षा , कर्ण छेदन , ऐसे कई सारे संस्कार हैं ।जानिए क्या है कर्ण छेदन संस्कार के पीछे का साइंटिफिक कारण ?

इन सभी संस्कारों में कर्ण छेदन संस्कार को आज भी साउथ क्षेत्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है । इन सभी संस्कारों का साइंटिफिक कारणों से किया जाता है । इतना ही नही हिन्दू मान्यताओं में इंका खास महत्व भी है इसके साथ ही महिलाएं या पुरुष जो भी श्रिंगार करते हैं जो भी आभूषण पहनते हैं यहाँ तक की हमारे कपड़े तक हमारी सेहत से जुड़े हुए हैं जैसे की धोती पहनना महिलाओं का लहंगा चोली पहनना इत्यादि । आज हम बात कर रहे हैं कर्ण छेदन संस्कार की आइये जानते हैं क्यों कर्ण छेदन संस्कार जरूरी है लड़का लड़की के लिए क्या है इसका साइंटिफिक कारण ?जानिए क्या है कर्ण छेदन संस्कार के पीछे का साइंटिफिक कारण ?

कर्ण छेदन एक तरह के एक्यूपंचर का काम करता है। कान के एक खास हिस्से पर छेद करते ही यहां की नसें सक्रिय हो जाती हैं जिनका सीधा  संबंध हमारी आंखो से होता है। इनके दबने से हमारी आंखो की रोशनी बेहतर अच्छी बनी रहती है।जानिए क्या है कर्ण छेदन संस्कार के पीछे का साइंटिफिक कारण ?

कर्ण छेदन का संबंध हमारे पेट से भी होता है  अपने देखा  होगा कई लोग कान और उसके ऊपर ताक छेद कर के बालियाँ या लौंग पहना करते हैं यह हमरे पेट की बीमारियों के लिए होता है यह उसके लिए एक्यूपंचर का काम करता है । कान के जिस खास बिन्दु पर छेद किया जाता है वह शरीर की पाचन प्रणाली से संबंधित होता है जिसकी वजह से हाजमा दुरूस्त रहता है और  वजन बढ़ने की संभावना कम होती है।

 

जानिए क्या है कर्ण छेदन संस्कार के पीछे का साइंटिफिक कारण ?

वैज्ञानिकों की मानें तो कर्ण -छेदन से दिमाग में रक्त का प्रवाह बेहतर हो जाता है जिससे हमारी ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है। इसीलिए पहले   समय में बच्चों को गुरुकुल भेजने से पहले से उनके कान छेदने की परंपरा थी क्योंकि यह बेहतर ज्ञान हालिस करने में मदद करता था।

कर्ण छेदन में कान की नसों पर पड़ने वाला दबाब मानसिक अवसाद की बीमारी जैसे ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर  उलझन/घबराहट जैसी तकलीफों को दूर रखने में मददगार होता है।

 

कर्ण छेदन का संबंध हमारे पेट से भी होता है  अपने देखा  होगा कई लोग कान और उसके ऊपर ताक छेद कर के बालियाँ या लौंग पहना करते हैं यह हमरे पेट की बीमारियों के लिए होता है यह उसके लिए एक्यूपंचर का काम करता है । कान के जिस खास बिन्दु पर छेद किया जाता है वह शरीर की पाचन प्रणाली से संबंधित होता है जिसकी वजह से हाजमा दुरूस्त रहता है  वजन बढ़ने की संभावना कम होती है। जानिए क्या है कर्ण छेदन संस्कार के पीछे का साइंटिफिक कारण ?

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