क्या होती है कर्क संक्रांति, जानिए मकर संक्रांति से है ये कितनी अलग
आपको बता दें कि आज गुरुवार यानी 16 जुलाई को देशभर में कर्क संक्रांति मनाई जा रही हैं इस संक्रांति का भी विशेष महत्व होता हैं, तो आज हम आपको कर्क संक्रांति के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं
वही सूर्य का एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है यह वो समय हैं जो दान पुण्य के लिए बहुत ही खास माना जाता हैं मान्यताओं के मुताबिक इस संक्रांति काल में दान पुण्य का सबसे अधिक फल प्राप्त होता हैं बता दें कि सावन या श्रावण संक्रांति भी इसे कहते हैं। जाहिर तौर पर स्पष्ट हैं कि ये शिव की पूजा आराधना का महीना होता हैं इसमें सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश होना श्रावण संक्रांति कहलाता हैं सीधे तौर पर समझें तो सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश कर्क संक्रांति का मौका होता हैं सावन में इस दिन लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना कर पुण्य प्राप्त करते हैं। हिंदू धर्म में इसका खास महत्व होता हैं।
पंचांगों के अनुसार कर्क संक्रांति के बाद से साल ऋतु की शुरुआत मानी जाती हैं मौसम विभाग जिसे मानसून का आना कहता हैं उसे पुराने समय में कर्क संक्रांति से आंका जाता था। इस दिन से चातुर्मास भी शुरू हो जाता हैं जैन धर्म में संत लोग चातुर्मास पर भ्रमण नहीं करते, वर्षा ऋतु के कारण एक निश्चित स्थान पर ही चातुर्मास की अवधि बिताते हैं।