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जानिए पहाड़ों पर ही क्यों होते हैं माता के सारे मंदिर

जयपुर। आज से नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो चुका है पूरा देश देवी की भक्ति में लग गया है। चारों ओर का माहौल भक्तिमय हो गया है। आज से 9 दिनों तक भक्त देवी को प्रसन्न करने के लिए कई प्रयास करेंगे। इसके साथ ही देवी के मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। लेकिन
जानिए पहाड़ों पर ही क्यों होते हैं माता के सारे मंदिर

जयपुर। आज से नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो चुका है पूरा देश देवी की भक्ति में लग गया है। चारों ओर का माहौल भक्तिमय हो गया है। आज से 9 दिनों तक भक्त देवी को प्रसन्न करने के लिए कई प्रयास करेंगे। इसके साथ ही देवी के मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। लेकिन कभी आपने ध्यान दिया है कि देवी के प्रसिद्ध मंदिर ज्यादातर पहाड़ों पर ही बने हैं। आखिर क्यों देवी के सारे मंदिर पहाडों पर हा बनाएं गये हैं।

जानिए पहाड़ों पर ही क्यों होते हैं माता के सारे मंदिरइसके साथ ही कई सारे देवताओं के मंदिर भी पहाड़ की चोटी पर बने हैं। ऐसे में हम आपको इसके पीछे का कारण सुलझाने का प्रयास कर रहें हैं। पहाड़ी पर बने मंदिरों का स्वरूप पिरामिड के जैसा होता है। पिरामिड जिसका अर्थ ग्रीक भाषा में अग्नि से माना जाता है। अग्नि का संबंध ऊर्जा से हैं। ऊर्जा जो जीवन का आधार है। इस लिए ज्यादातर मंदिर पहाडों पर बनाने का कारण अग्निमय ऊर्जा उस मंदिर के चारों ओर प्रवाहित रहती है जो हमें सकारात्मक ऊर्जा देती है।

जानिए पहाड़ों पर ही क्यों होते हैं माता के सारे मंदिर

पहाड में मंदिर के पीछे के रहस्य को जानने के लिए वैज्ञानिक ने शोधों करके इस बात का पता लगाया है कि पहाड़ों में पॉजिटिव एनर्जी अन्य जगहों के मुकाबले ज्यादा होती है। इसलिए पहाडों में मंदिर ज्यादा होते हैं। इसके साथ ही लोग पहाड़ों पर दर्शन करने जाते हैं तो वह प्रकृति के करीब आते हैं इसके साथ ही मन में सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करते हैं और मानसिक शांति मिलती है जिससे आध्यात्मिकता के भाव जागते हैं।

जानिए पहाड़ों पर ही क्यों होते हैं माता के सारे मंदिर

पहाडों की इन विशेषता के कारण ही प्राचीन समय में ऋषि मुनि पहाडों पर जा कर सालों तपस्या करते हैं ज्ञान प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही आध्यात्मिक माहौल में जीवन यापन करते हैं। पहाडों की इन विशेषता के कारण ऋषि-मुनि ने मंदिर के लिए पहाड़ों को चुना।

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