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जाने शिवजी का यह मंत्र जिससे होती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण

जब भगवान शिव अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे तब उनके पांच मुख थे।वो पांच मुख पांचों तत्व पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि तथा वायु के रूप थे। हम बात करते हैं शिवजी के महामंत्र की जिसको जपने से होते हैं सब मनोरथ पूर्ण । इस सृष्टि में सबसे पहले ऊं शब्द की उत्पत्ति
जाने शिवजी का यह मंत्र जिससे होती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण

जब भगवान शिव अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे तब उनके पांच मुख थे।वो पांच मुख  पांचों तत्व पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि तथा वायु के रूप थे। हम बात करते हैं शिवजी के महामंत्र की जिसको जपने से होते हैं सब मनोरथ पूर्ण । जाने शिवजी का यह मंत्र जिससे होती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्णइस सृष्टि में सबसे पहले ऊं शब्द की उत्पत्ति हुई थी बाकी के शब्दों नम: शिवाय की उत्पत्ति उनके पांचों मुखों से हुई जिन्हें सृष्टि का सबसे पहला मंत्र माना जाता है यही महामंत्र है। इसी से अ इ उ ऋ लृ इन पांच मूलभूत स्वर तथा व्यंजन जो पांच वर्णों से पांच वर्ग वाले हैं वे प्रकट हुए। जाने शिवजी का यह मंत्र जिससे होती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण

इस मंत्र के जाप से सभी मनोरथों की सिद्धि होती है। भोग और मोक्ष दोनों को देने वाला यह मंत्र जपने वाले के समस्त व्याधियों को भी शांत करता है। बाधाएं इस मंत्र का जाप करने वाले के पास भी नहीं आती तथा यमराज ने अपने दूतों को यह आदेश दिया हैं कि इस मंत्र के जाप करने वाले के पास कभी मत जाना। उसको मृत्यु नहीं मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मंत्र शिववाक्य है और यही शिवज्ञान है।

जिसके मन के भीतर यह मंत्र हमेशा रहता है वह शिवस्वरूप हो जाता है। भगवान शिव हर  व्यक्ति के अंत:करण में स्थित है। नम: शिवाय: पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है। इस मंत्र के आदि में  लगाकर ही सदा इसके जप करना चाहिए। भगवान शिव का निरंतर चिंतन करते हुए इस मंत्र का जाप करें।जाने शिवजी का यह मंत्र जिससे होती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण

भगवान शिव अपने भक्त की पूजा से प्रसन्न होते हैं। शिव भक्त जितना-जितना भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जप कर लेता है उतना ही उसके अंतकरण की शुद्धि होती जाती है एवं वह अपने अंतकरण में स्थित अव्यक्त आंतरिक अधिष्ठान के रूप में विराजमान भगवान शिव के समीप होता जाता है। उसके दरिद्रता, रोग, दुख एवं शत्रुजनित पीड़ा एवं कष्टों का अंत हो जाता है एवं उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है।जाने शिवजी का यह मंत्र जिससे होती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण

शिवलिंग की श्रेष्ठता- शिव का पूजन लिंगस्वरूप में ही ज्यादा फलदायक माना गया है। शिव का मूर्तिपूजन भी श्रेष्ठ है किंतु लिंगस्वरूप पूजन सर्वश्रेष्ठ है। भगवान शिव के इस रूप में समस्त ब्रह्मांड का पूजन हो जाता है। क्योंकि वे ही समस्त जगत के मूल कारण है।

 

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