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जानिए काल भैरव का कैसे हुआ प्राकट्य

भगवान भैरव की साधना आराधना का कालाष्टमी व्रत 25 जून यानी की आज मनाया जा रहा हैं, वही मान्यताओं के मुताबिक कालभैरव अष्टमी वाले दिन ही भगवान कालभैरव की उत्तपति हुई थी। वही काल भैरव को काशी के कोतवाल के नाम से भी जाना जाता हैं वही देश के कई सारे शक्तिपीठ में भगवान भैरव अलग अलग रुपों में जाने और पूजे जाते हैं वही किसी भी शक्तिपीठ के दर्शन तब तक नहीं पूरे होते है जब तक आप भगवान भैरवनाथ के दर्शन न कर लें।
जानिए काल भैरव का कैसे हुआ प्राकट्य

आपको बता दें, कि भगवान भैरव की साधना आराधना का कालाष्टमी व्रत 25 जून यानी की आज मनाया जा रहा हैं, वही मान्यताओं के मुताबिक कालभैरव अष्टमी वाले दिन ही भगवान कालभैरव की उत्तपति हुई ​थी। वही काल भैरव को काशी के कोतवाल के नाम से भी जाना जाता हैंजानिए काल भैरव का कैसे हुआ प्राकट्य वही देश के कई सारे शक्तिपीठ में भगवान भैरव अलग अलग रुपों में जाने और पूजे जाते हैं वही किसी भी शक्तिपीठ के दर्शन तब तक नहीं पूरे होते है जब तक आप भगवान भैरवनाथ के दर्शन न कर लें।जानिए काल भैरव का कैसे हुआ प्राकट्य

जानिए काल भैरव के प्राकट्य की कथा—
आपको बता दें, कि कालभैरव के जन्म को लेकर पुराणों में एक बड़ी ही रोचक कथा हैं शिव पुराण के मुताबिक एक बार ​ब्रह्मा जी और भगवान श्री विष्णु जी में कौन सर्वश्रेष्ठ हैं इस बात को लेकर वाद विवाद पैदा हो गया। तब दोनों ने अपने आपको श्रेष्ठ बताया और आपस में एक दूसरे से युद्ध करने लगे। इसे बाद सभी देवताओं ने वेद से पूछा तो उत्तर आया कि जिनके भीतर चराचर जगत, भूत भविष्य और वर्तमान समाया हुआ हैं भगवान शिव ही सर्वश्रेष्ठ हैं।जानिए काल भैरव का कैसे हुआ प्राकट्य

वही वेद के द्वारा भगवान शिव की महिमा ब्रह्माजी को पसंद नहीं आई और उन्होंने अपने पांचवें मुख से शिव के बारे में भला बुरा कहा। इससे वेद अत्यंत दुखी हुए। उसी वक्त एक दिव्यज्योति के रूप में भगवान रूद्र प्रकट हुए तब ब्रह्मा ने कहा कि हे रूद्र तुम मेरे ही सिर से पैदा हुए हो अधिक रुदन करने के कारण मैने ही तुम्हारा नाम रूद्र रखा हैं इसलिए तुम मेरी सेवा में आ जाओं।

जानिए काल भैरव का कैसे हुआ प्राकट्य

ब्रह्माजी के इस आचरण पर भगवान शिव को अत्यंत क्रोध आया और उन्होंने उसी क्षण भैरव को प्रकट करते हुए कहा कि तुम ब्रह्मा पर शासन करों दिव्य शक्ति संपन्न भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखून से शिव के प्रति अपमान जनक शब्द कहने वाले ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को ही काट दिया।

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भगवान भैरव की साधना आराधना का कालाष्टमी व्रत 25 जून यानी की आज मनाया जा रहा हैं, वही मान्यताओं के मुताबिक कालभैरव अष्टमी वाले दिन ही भगवान कालभैरव की उत्तपति हुई ​थी। वही काल भैरव को काशी के कोतवाल के नाम से भी जाना जाता हैं वही देश के कई सारे शक्तिपीठ में भगवान भैरव अलग अलग रुपों में जाने और पूजे जाते हैं वही किसी भी शक्तिपीठ के दर्शन तब तक नहीं पूरे होते है जब तक आप भगवान भैरवनाथ के दर्शन न कर लें। जानिए काल भैरव का कैसे हुआ प्राकट्य

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