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आज है देवशयनी एकादशी व्रत

वही एकादशी के दिन व्रती को झूठ बोलने, ठगी करने, दूसरे का अहित सोचने, बड़ों का अपमान करने से बचते हुए, ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। वही इस प्रकार कोई भी साधक देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करके दैहिक, दैविक और भौतिक मतलब की तीनो तापों से मुक्ति पाता हैं और जीवन मरण के बंधन से भी मुक्त हो कर स्वयं नारयण में ही विलीन हो जाता हैं।
आज है देवशयनी एकादशी व्रत

आपको बता दें, कि भगवान श्री हरि विष्णु की प्रिय हरिशयनी एकादशी या फिर देवशयनी एकादशी इस साल 12 जुलाई यानी की आज के दिन मनाई जा रही हैं इस पावन तिथि पर भगवान विष्णु शयन करना आरम्भ करते हैं और संसार के सभी मांगलिक कार्यों जैसे कि शादी विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत आदि मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैंआज है देवशयनी एकादशी व्रत वही इसी दिन से सन्यासी लोग भी चातुर्मास का व्रत रखते हैं, वही आषाढ़ शुक्ल एकादशी को सोने के बाद भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं इस अवधि के मध्य भगवान विष्णु भादों शुक्ल एकादशी को करवट बदलते हैं इस एकादशी का व्रत चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला माना जाता हैं। वही आज हम आपको देवशयनी एकादशी से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं।

आज है देवशयनी एकादशी व्रत

वही देवशयनी एकादशी के दिन भगवान नारायण कि मूर्ति, जिसमें चारों भुजाएं, जिसमें शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोीिात हो, उसे पीले वस्त्र धारण कराकर, मूर्ति के आकार वाले सुंदर पलंग पर लिटाकर पंचामृत और शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए। वही इसके बाद षोडशोपचार विधि से भगवान श्री विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए।आज है देवशयनी एकादशी व्रत

वही देवशयनी एकादशी में भूलकर भी ना करें ये कार्य—
वही एकादशी के दिन व्रती को झूठ बोलने, ठगी करने, दूसरे का अहित सोचने, बड़ों का अपमान करने से बचते हुए, ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। वही इस प्रकार कोई भी साधक देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करके दैहिक, दैविक और भौतिक मतलब की तीनो तापों से मुक्ति पाता हैं और जीवन मरण के बंधन से भी मुक्त हो कर स्वयं नारयण में ही विलीन हो जाता हैं। आज है देवशयनी एकादशी व्रत

वही एकादशी के दिन व्रती को झूठ बोलने, ठगी करने, दूसरे का अहित सोचने, बड़ों का अपमान करने से बचते हुए, ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। वही इस प्रकार कोई भी साधक देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करके दैहिक, दैविक और भौतिक मतलब की तीनो तापों से मुक्ति पाता हैं और जीवन मरण के बंधन से भी मुक्त हो कर स्वयं नारयण में ही विलीन हो जाता हैं। आज है देवशयनी एकादशी व्रत

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