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जानिए नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों के बारे में

जयपुर। नवरात्रि के शुरु होते ही नौ दिन देवी को समर्पित होते। नवरात्रि के नौ दिन देवी के अलग अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। पूरे साल में नवरात्रि चार बार आती है इनमें चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीने में होते हैं। लेकिन इसके साथ ही चैत्र और शारदीय नवरात्र को सबसे
जानिए नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों के बारे में

जयपुर। नवरात्रि के शुरु होते ही नौ दिन देवी को समर्पित होते।  नवरात्रि के नौ दिन देवी के अलग अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। पूरे साल में नवरात्रि चार बार आती है इनमें चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीने में होते हैं। लेकिन इसके साथ ही चैत्र और शारदीय नवरात्र को सबसे महत्‍वपूर्ण माना जाता है।

शारदीय नवरात्र 2018

इस बार शारदीय नवरात्र 10 अक्‍टूबर शुरु हो रहा है। इस बार नवरात्रि 10 से 18 अक्‍टूबर तक हैं इन दिनों में देवी दुर्गा की पूजा की जाएंगी व इसके साथ ही 19 अक्‍टूबर को विजयादशमी का त्योहार मनाया जाएगा।

जानिए नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों के बारे में

प्रथम दिन मां शैलपुत्री

नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। देवी शैलपुत्री को पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। मां शैलपुत्री बैल के वाहन में विराजती हैं। ये सभी जीवों की संरक्षक मानी जाती है। इसके साथ ही सारी आपदाओं से मुक्‍ति पाने के लिए देवी शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है।

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दूसरा दिन मां ब्रह्माचारिणी

नवरात्र के दूसरे दिन पर मां ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है। इनके एक हाथ में कमंडल और दूसरी में रुद्राक्ष है ये सफेद रंग की साड़ी धारण किए हैं। मां ब्रह्माचारिणी को हिमालय की पुत्री माना जाता है। इन्होंने कई साल तक भगवान शिव को पाने के लिए तप किया।

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तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटी के आकार का चंद्रमा बना हुआ है। जिस कारण से इनको चंद्रघंटा कहा जाता है।

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चौथा दिन मां कूष्‍मांडा

नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मां कूष्‍मांडा की मंद मुस्‍कान से ही पृथ्‍वी की रचना हुई थी। इनकी पूजा करने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।

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पांचवां दिन मां स्‍कंदमाता

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्‍कंदमाता की पूजा की जाती है। स्‍कंदमाता की एक भुजा में कमल और दूसरी भुजा में घंटी और एक में कमंडल और एक भुजा से आशीर्वाद की मुद्रा में बैठी हुई हैं। इनकी गोद में इनका पुत्र कार्तिकेय है।

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छठा दिन मां कात्‍यायनी

नवरात्र के छठे दिन मां कात्‍यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्‍यायनी शेर की सवारी करती हैं इनके हाथ में तलवार और कमल का पुष्‍प होता है। मां कात्‍यायनी ने ऋषि कात्‍यायना के घर पुत्री के रूप में जन्‍म लिया था और महिषासुर का वध किया।

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सातवां दिन मां कालरात्रि

मां दुर्गा का सातवां स्‍वरूप मां कालरात्रि हैं। ये गधे की सवारी करती है। मां कालरात्रि ने रक्‍तबीज का वध किया था। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं। मां कालरात्री की तांत्रिक पूजा अधिक होती है।

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आठवां दिन महागौरी

मां दुर्गा के आठवें स्‍वरूप महागौरी हैं। इन्होंने भगवान शिव के लिए कठोर तप किया जिससे इनका  शरीर काला हो गया था। तपस्‍या पूर्ण होने के बाद मां ने गंगा में स्‍नान किया जिसके बाद उनका वर्ण गौर हो गया जिसके कारण ये महागौरी कहलाईं।

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नौवां दिन मां सिद्धिदात्री

नवरात्र के नौवे मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन्‍हें आठ सिद्धियां अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्‍ति, प्राकाम्‍य, ईशित्‍व और वशित्‍व का ज्ञान है। जिस कारण इनका नाम सिद्धिदात्री पड़ा।  मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी भौतिक और आध्‍यात्‍मिक कामनाओं की पूर्ति होती है।

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