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जानिए चंद्रदेव के विषय में रोचक जानकारी

जयपुर। चंद्रदेव के बारे में इस लेख में रोचक जानकारी दे रहें हैं। जब ब्रह्माजी सृष्टि का विस्तार कर रहें थे उस समय ब्रह्मा जी के मन से महर्षि अत्री का जन्म हुआ। महर्षि अत्री की गणना श्रेष्ठ ऋषियों में की जाती है। महर्षि अत्री ने अनुत्तर नाम की तपस्या की जो तीन हजार दिव्य
जानिए चंद्रदेव के विषय में रोचक जानकारी

जयपुर। चंद्रदेव के बारे में इस लेख में रोचक जानकारी दे रहें हैं। जब ब्रह्माजी सृष्टि का विस्तार कर रहें थे उस समय ब्रह्मा जी के मन से महर्षि अत्री का जन्म हुआ। महर्षि अत्री की गणना श्रेष्ठ ऋषियों में की जाती है। महर्षि अत्री ने अनुत्तर नाम की तपस्या की जो तीन हजार दिव्य वर्ष तक जारी रही। तपस्या के समय उनके नेत्रों से जल भूमि पर गिरा जिससे चन्द्र्देव की उत्पत्ति हुई।

जानिए चंद्रदेव के विषय में रोचक जानकारी

चंद्रदेव का एक नाम सोमदेव भी है, सोमदेव को भूमि पर गिरा हुआ देखकर ब्रह्माजी ने उसके लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया और उस रथ में चंद्रदेव को बिठा दिया जिसके बाद ब्रह्माजी के सारे पुत्रों ने चंद्रदेव की स्तुति कर अपना अपना तेज चंद्रदेव को दिया।

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इसके बाद चंद्रदेव ने इक्कीस बार पृथ्वी की परिक्रमा की और अपने तेज से पृथ्वी को प्रकाशित किया, चंद्रदेव का तेज मिलने से पृथ्वी पर दिव्य औषधियों की उत्पत्ति हुए, जिस कारण से ब्रह्माजी ने चंद्रदेव को अमृत और औषधियों का स्वामी बनाया।

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चंद्रदेव का विवाह दक्ष प्रजापति की सताईस कन्याओं से हुआ था, लेकिन चंद्रदेव को दक्ष कन्या रोहिणी सबसे ज्यादा प्रिय थी, व दक्ष की अन्य कन्याओं से चंद्रदेव अच्छी तरह बात नहीं करते थे जिस कारण से गुस्से में दक्ष ने उन्हें क्षयरोग होने का श्राप दिया। अपने श्राप को दूर करने के लिए चंद्रदेव ने भगवान शिव की आराधना की जिसके बाद चंद्रदेव को श्राप से मुक्ति मिली, इसके बाद चंद्रदेव ने सोमनाथ महादेव की स्थापना की थी। भगवान शिव की तपस्या करने से भगवान शिव ने चंद्रदेव को अपने शीश पर अर्ध चंद्र के रुप में धारण किया।

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