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जानिए क्या है किसी चीज को समझने के पीछे का दिमागी फंडा?

अक्सर आप सोचते होंगे कि सामान्य जीवन में हमारे काम आने वाली चीजें कैसे काम करती हैं, कैसे हम किसी चीज को समझ पाते हैं। आपने कभी तो सोचा ही होगा इन सब के बारे में लेकिन इस बात का जवाब आपको आपके दिमाग से ही मिलेगा। वैज्ञानिकों ने लोगों को किसी का कितनी अच्छी
जानिए क्या है किसी चीज को समझने के पीछे का दिमागी फंडा?

अक्सर आप सोचते होंगे कि सामान्य जीवन में हमारे काम आने वाली चीजें कैसे काम करती हैं, कैसे हम किसी चीज को समझ पाते हैं। आपने कभी तो सोचा ही होगा इन सब के बारे में लेकिन इस बात का जवाब आपको आपके दिमाग से ही मिलेगा। वैज्ञानिकों ने लोगों को किसी का कितनी अच्छी तरह समझना, चीजों का काम करना, पर काफी समय तक रिसर्च करने के बाद कुछ निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।

मान लीजिए आपसे किसी ने पूछ लिया कि रोज़ काम आने वाली सामान्य सी चीजें जैसे ज़िपर, शौचालय, बॉलपॉइंट पेन ये सब कैसे काम करते हैं। आपके क्या जवाब होगा? शायद आप कहेंगे कि यह हम जानते हैं कि ये कैसे काम करते हैं या हमें इनकी उचित समझ है।

लेकिन आपसे जो पूछा गया था कि कैसे काम करती हैं? इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिला है। अधिकतर  सबूत आपके किसी साधारण तथ्य से निकलकर ही आते हैं और इस बात से आप अभी तक अनजान हैं। आइए आपको बताते हैं इसके पीछे छिपा मनोवैज्ञानिक कारण-

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आप तर्क देते हैं कि हम जितना जानते हैं उतना हम नहीं जानते। क्या आप यह बता सकते हैं?

हमने न केवल हर रोज़ काम आने वाली वस्तुओं के साथ, बल्कि राजनीतिक नीतियां या कुछ और जिस पर हमसे पूछा जाता है अधिकांश हम अपने विश्वास के लिए उस सवाल का तर्क के साथ बना हुआ जवाब देने को अधिक महत्व देते हैं। हमारा अंतर्ज्ञान से बना तर्क ही है जो किसी ना किसी रूप में हमें निष्कर्ष तक ले जाता है। क्योंकि हमारे पास उस काम करने के लिए कोई दिमागी पहुंच नहीं है,  हम बस केवल उनके आउटपुट के पीछे भागते हैं।

मानव तर्क कई रूपों में समाहित होता है। अधिकांश निष्कर्ष जिन पर हम जाते हैं,  वे हमारे अंदर के ज्ञान से ही बने हुए हैं। किसी चीज का थोड़ा सुना सुनाया ज्ञान हमारी मेमोरी से उसके निष्कर्ष निकालने का काम करती हैं। हम किसी चीज की जानकारी प्राप्त करने के लिए अंदर नहीं झांक सकते हैं यह काम सिर्फ हमारी समझ करती है।

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लोग अपने विश्वासों की लापरवाही भी कर सकते हैं? ऐसा कैसे हो सकता है?

अगर आपसे पूछा जाए कि दूसरे विश्व युद्ध में क्या हुआ था, तो आप बिना किसी हिस्ट्री की समझ के कोई ना कोई कहानी बनाकर सुना सकते हैं क्योंकि आपको पता है, आपमें समझ है कि जब युद्ध होता है तो लोग मरते हैं, नुकसान होता है ये सब। तो यहां आपका हिस्ट्री का ज्ञान नहीं काम करके बल्कि आपकी अंतर्निहित समझ इस रूप से विकसित है कि दुनिया का काम कैसे होता है? तो आप आसानी से युद्ध की एक नई कहानी बनाकर पेश कर सकते हैं।

किसी चीज को जानना और समझना लोगों के लिए महत्वपूर्ण क्यों है?

किसी चीज को जानने के पीछे सबसे मुख्य कारण हमारी जागरूकता होती है। हम मानसिक रूप से कितने सक्षम हैं इस बात की किसी दूसरे से तुलना करने के लिए किसी चीज को जानना सबसे महत्वपूर्ण बात हो सकती है।

“सोशल” होने के बारे में हम क्या जानते हैं?

हम यह जान नहीं पाते हैं कि हमारे दिमाग में क्या ज्ञान है और हम विफल होते हैं, क्योंकि हमारे पास अपने ज्ञान  तक जाने की पहुंच तो है लेकिन  हम जो ज्ञान का उपयोग करते हैं वह सोसाइटी में रहता है, सोसाइटी के द्वारा ही हम उस पर अमल कर पाते हैं। हमारे सामाजिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक पहचान को परिभाषित करने वाले मूलभूत मूल्यों और मान्यताओं को हमारे सोसाइटी के द्वारा ही निर्धारित किया जाता है।

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अपनी दिमागी समझ को आज की तकनीक से कैसो जोड़ कर देख सकते हैं?

तकनीक को हम कई तरह से फिट बैठा सकते हैं सबसे पहले तो  यह ज्ञान से जुड़े किसी भी भ्रम को मिटा देता है क्योंकि यह सूचना का एक शक्तिशाली स्रोत है। लेकिन तकनीक ने अपनी सबसे भयानक भूमिका दिखाई है कि उसने हमारे सामाजिक सिस्टम के साथ क्या किया है। सोशल मीडिया पर ऐसे दिमाग वाले व्यक्ति भी हैं जिनके दिमाग की उपज हमें क्या बताती हैं और हम क्या सुनना चाहते हैं।

  

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