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जानिए किस तरह रेशम का कीड़ा रेशम बनाता है

जयपुर। रेशम का नाम आते ही मखमली एहसास की अनुभूति होती है। जी हां, रेशम का रूमाल हो या रेशम की शॉल, सदियों से यह अनोखा मुलायाम रेशा इंसान को लुभाता रहा है। हम आपको बता दे कि रेशम की उप्तप्तति एक कीड़े द्वारा की जाती है। इसे रेशम कीट या फिर बोबिक्स मोरी के
जानिए किस तरह रेशम का कीड़ा रेशम बनाता है

जयपुर। रेशम का नाम आते ही मखमली एहसास की अनुभूति होती है। जी हां, रेशम का रूमाल हो या रेशम की शॉल, सदियों से यह अनोखा मुलायाम रेशा इंसान को लुभाता रहा है। हम आपको बता दे कि रेशम की उप्तप्तति एक कीड़े द्वारा की जाती है। इसे रेशम कीट या फिर बोबिक्स मोरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह कीड़ा केवल शहतूत के पेड़ पर ही पाया जाता है।जानिए किस तरह रेशम का कीड़ा रेशम बनाता है

सिल्क वर्म के बारे में हम आपको बता दे कि इस कीट द्वारा ही रेशम का व्यावसायिक उत्पादन किया जाता है। चीन में प्राचीन समय से ही रेशम की खेती की जाती रही हैं। बस उसी समय से रेशम का कारोबार पूरी दुनिया में फैल गय़ा है। क्या आप जानते हैं कि रेशम कीट मात्र दो या तीन दिन तक ही जिंदा रह पाता है। खास बात यह है कि वह इस दौरान संगम करके शहतूत की पत्तियों पर 300-400 अण्डों का अण्डारोपण कर देता है। हर अण्डे से करीब 10 दिन में एक नन्हा मादा कीट लार्वा निकलता है।जानिए किस तरह रेशम का कीड़ा रेशम बनाता है

साथ ही रेशम कीट तीन दिनों में लगातार अपने सिर को इधर-उधर हिलाकर अपने चारों और अपनी ही लार का एक खोल बना लेता है, जिसे कोकून कहा जाता है। हवा पाकर यह धागा सूख जाता है और रेशमी धागा बन जाता है। इसकी लंबाई करीब 1000 मीटर तक हो सकती है। इस दौरान रेशम का कीड़ा खुद अपने ही बनाये रेशमी जाल में घुट घुटकर मर जाता है। इस तरह रेशम का उत्पादन किया जाता है।जानिए किस तरह रेशम का कीड़ा रेशम बनाता है

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