आखिर कीमोथेरेपी कितनी कारगार होती, कैंसर के इलाज में
जयपुर। ‘कैंसर’ इसका नाम सुनते ही लोगों के मन में भय बैठ जाता है। क्योंकि ये एक ऐसी गंभीर बीमारी होती है, जिसका इलाज मुश्किल होता है। यदि इसका इलाज हो भी जाये तो महंगा पड़ता है। इसकी चपेट में आये दिन कई लोग आते है। बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान के बाद सोनाली बंद्रे भी इसकी चपेट में आ चुकी है।
कैंसर को बढ़ने से रोकने के लिए डॉक्टर मरीज की कीमोथैरेपी करते हैं। बताया जाता है कि कीमोथैरेपी कैंसर के सेल्स को रोककर उन्हें खत्म करती जिससे इंसान में जीने की संभावना बढ़ जाती है। कहा जाता है कि कीमोथैरेपी एक कष्टदायक थेरेपी होती है लेकिन कैंसर का इसके अलावा और कोई इलाज भी नहीं है।
ये कैंसर को दूसरे हिस्सों में फैलने से रोकती है। कीमोथैरैपी को देने के दो तरीके हो सकते हैं। पहली तो ये एकल भी दी जा सकती है और इसके अलावा ये सर्जरी या रेडियोथेरेपी के साथ भी दी जा सकती है। कीमाथेरेपी की कार्यप्रणाली इस प्रकार से दोहराया जाता है। सबसे पहले इसे नसों के माध्यम से शरीर के अंदर पहुंचाया जाता है।
जिससे की ये शरीर में फैल रहे कैंसर सेल्स को खत्म कर सके। इसको अंदर पहुंचाने के भी दो तरीके होते है। एक तो इसे पिल्स, कैप्सूल या तरल पदार्थ के रूप में शरीर के अंदर पहुंचाया जाता है। दूसरा तरीका होता है, जिसमें चर्बीयुक्त भाग से सुई की मदद से शरीर के अंतर पहुंचाई जाती है।
कीमोथेरेपी का इलाज मरीजों की कंडिसन पर निर्भर करता है। इसका इलाज 1 दिन का भी हो सकता है और कई हफ्तों तक भी चल सकता है।