जानिए कैसे एक पेंसिल दूसरी पेंसिल से बेहतर बनती है?
अक्सर स्कूल के दिनों में पेसिंल ने हमारा बहुत साथ दिया है। हमने उसी की मदद से लिखना सीखा है। आपने भी जरूर अपने स्कूल के दिनों में कई तरह की पेंसिलें खरीदी होंगी और अक्सर हम उसी पेंसिल के ब्रांड को प्रिफर करते हैं जो पेंसिल ज्यादा लम्बे समय तक चलती है जल्दी टूटती नहीं है। वैसे तो पेंसिल आखिर पेंसिल है, इसमें ब्रांड का क्या लेना देना, लेकिन फिर भी कुछ लोग कुछ पर्टिकुलर ब्रांड पर भरोसा करते हैं।
इस बारे में अलग अलग लोगों का अलग अलग नजरिया है। वहीं एक पेंसिल ब्रांड है ‘टिकोन्देरोगा नम्बर 2’ पेंसिल, जिसकी ड्यूरेबिलिटी पर भी बहुत से लोग भरोसा करते हैं। जॉर्जिया के सुवानी में लम्बेर्ट हाई स्कूल में सहायक प्रिंसिपल, एशले जोहनेसी कहते हैं कि टिकोन्देरोगा टूटे बिना लगातार पैनापन बरकरार रख पाने में सक्षम है साथ ही यह लिखते समय काफी लम्बे समय तक वैसी ही बनी रहती है। उनके पास बेहतरीन इरेजर्स भी हैं।
वहीं एक अन्य प्रोफेसर का कहना है कि टिकोन्देरोगा बेहतर हैं लेकिन एक शिक्षक के लिए तो इतना ही काफी है कि उसके पास पेंसिल है। किसी भी शिक्षक के लिए तो यह एक बोनस है अगर वह पेंसिल पहले से ही शार्प है और दूसरा बोनस यह होगा कि वो इस ब्रांड की होगी। इस सिलसिले में पेंसिल बनाने वाली कम्पनी डिक्सन टिकोन्देरोगा से भी बात की गई की ऐसा क्या है जो इसे इतना खास बनाता है, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला।
वैसे ये एक ही हाई क्वालिटी ब्रांड नहीं हैं। हेनरी हुलन भी पेंसिल उद्योग में काफी आगे बढ़ गए हैं। अपने टेनेसी स्थित फैमिली बिजनेस के साथ मसगे्रव पेंसिल कंपनी ने 2016 में अपनी 100 वीं वर्षगांठ मनाई थी।
हुलन के अनुसार जिन लोगों को बहुत सोच समझकर पेंसिल चुनने की आदत है उन्हें सबसे पहले ये देखने चाहिए कि पेंसिल में किस प्रकार की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। कैलिफोर्निया की धूप देवदार प्रमुख पेंसिल की लकड़ी मानी जाती है, हालांकि, यह काफी महंगी है इसलिए लोग बासवुड से बनी पेन्सिल को भी चुन सकते हैं। बासवुड के विभिन्न ग्रेड हैं क्योंकि इनमें से कुछ वैक्स्ड होते हैं और कुछ अनवैक्स्ड।
एक पेंसिल के अंदर ग्रेफाइट मिश्रण भी अच्छे राइटिंग एक्सपीरियंस के लिए आवश्यक है। अगर आपने कभी पेंसिल के साथ लिखा है और यह सख्त हो जाता है, तो इसका मतलब है कि ग्रेफाइट और मिट्टी को लंबे समय तक मिलाया नहीं गया है। ग्रेफाइट और मिट्टी का असली मिश्रण प्राप्त करने के लिए कई दिनों का समय लेता है। वहीं कुछ सस्ते पेंसिल्स में इरेजर्स लगा दिए जाते हैं जो कुछ भी इरेज करने के बजाय पेपर पर धब्बा बना देते हैं।
यह गुणवत्ता दो चीजों में से एक के कारण असफल रही है या तो उन्होंने उस इरेजर को बनाने के लिए अच्छी सामग्री का उपयोग नहीं किया था या यह एक पुरानी इरेजर है जो थोड़ी देर के लिए उजागर हुआ था। तो क्या यह जरूरी है कि ये अल्ट्रा स्पेसिफिक ब्रांड ही खरीदे जाएं, जो आपके बच्चों के शिक्षकों ने अनुरोध किया है? शायद नहीं, लेकिन खरीदने से पहले लकड़ी और वैक्स फिनिश पर जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए।