Samachar Nama
×

जानें, संतान आपकी शत्रु है या मित्र, पिछले जन्म से जुड़ा हैं ये राज

हिन्दू धर्म में पूर्व जन्म और कर्मों की अहमियत बहुत होती हैं। ऐसा माना जाता हैं,कि पूर्व जन्म के कर्मों से ही व्यक्ति को उसके दूसरे जन्म में माता-पिता, भाई बहन, पति पत्नी, दोस्त-दुश्मन आदि रिश्ते नाते मिलते हैं। क्योकि इन सबसे या तो कुछ लेना होता हैं या फिर कुछ देना होता हैं। वही
जानें, संतान आपकी शत्रु है या मित्र, पिछले जन्म से जुड़ा हैं ये राज

हिन्दू धर्म में पूर्व जन्म और कर्मों की अहमियत बहुत होती हैं। ऐसा माना जाता हैं,कि पूर्व जन्म के कर्मों से ही व्यक्ति को उसके दूसरे जन्म में माता-पिता, भाई बहन, पति पत्नी, दोस्त-दुश्मन आदि रिश्ते नाते मिलते हैं। क्योकि इन सबसे या तो कुछ लेना होता हैं या फिर कुछ देना होता हैं। वही इसी प्रकार इस जन्म के व्यक्ति् के संतान के रूप में उसके पूर्व जन्म का कोई संबंधी ही आता हैं। वही शास्त्रों में इसे चार प्रकार का बताया गया हैं।जानें, संतान आपकी शत्रु है या मित्र, पिछले जन्म से जुड़ा हैं ये राज

ऋणानुबन्ध- अगर आपने पिछले जन्म में किसी से कोई कर्ज लिया हो और उसे चुका नही पाएं हो, तो आपके इस जन्म में वो व्यक्ति आपकी संतान बनकर आपके जीवन में आएगा और तब तक आपका धन व्य​र्थ होगा। जब तक उसका पूरा हिसाब न हो जाएं।

दूसरा है शत्रु पुत्र- अगर आपके पिछले जन्म में कोई आपका दुश्मन था और वो आपसे अपना बदला नही ले पाया था,तो आपके इस जन्म में वो आपकी संतान के रूप में आपका एक अहम हिस्सा बनता हैं। जिसके बाद उसके कारण ही आपको जिंदगी भर परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं,और परेशान रहना पड़ता हैं।जानें, संतान आपकी शत्रु है या मित्र, पिछले जन्म से जुड़ा हैं ये राज

तीसरा है उदासीन- इस प्रकार कि सन्तान माता-पिता को न तो कष्ट देती हैं और ना ही सुख देती हैं। ऐसी संतान विवाह होने पर अपने माता-पिता से अलग हो जाते हैं।

चौथा है सेवक पुत्र- अगर पिछले जन्मे में आपने बिना किसी स्वार्थ के किसी की बहुत ज्यादा सेवा की हैं,तो वह व्यक्ति आपका कर्ज उतारने के लिए आपके वर्तमान जन्म में पुत्र बनकर आता हैं।जानें, संतान आपकी शत्रु है या मित्र, पिछले जन्म से जुड़ा हैं ये राज

Share this story