विजयादशमी / दशहरा स्पेशल: देश के इन 3 जगहों में इन 3 कारणों से मनाया जाता है दशहरा, जानें क्या है इसका महत्व
जयपुर। शरदीय नवरात्रि में नौ दिन देवी पूजा करने के बाद दशहरे का त्यौहार आता है। दशरहा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरे का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है। इस साल दशहरे का त्योहार 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा को देश के अलग-अलग हिस्सों
जयपुर। शरदीय नवरात्रि में नौ दिन देवी पूजा करने के बाद दशहरे का त्यौहार आता है। दशरहा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरे का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है। इस साल दशहरे का त्योहार 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। दशहरे के त्यौहार के लिए कई लोगो का मानना है कि यह राम रावण युद्ध में राम की जीत के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है तो कई जगहों पर दशहरा मां दुर्गा के महिषासुर पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता हैं।
- दशहरा का त्योहार पूरे देश में सबसे ज्यादा जगहों पर धूम धाम से मनाया जाता है। भारत के नॉर्थ और साउथ में इस त्योहार को राम और रावण के बीच हुए युद्ध के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है की 9 दिनो तक राम रावण युद्ध चला जिसमें राजा राम ने लंका के राजा रावण का वध कर असत्य पर सत्य की जीत की धर्म पर अधर्म की जीत की।
- दूसरी ओर बंगाली समुदाय में इस विजयदशमी के रुप मे मनाया जाता है यहा पर विजयादशमी को लेकर पौराणिक मान्यता है कि देवी दुर्गा ने 10 दिन तक राक्षस महिषासुर से युद्ध किया और दशवे दिन महिषासुर का वध किया। इसके साथ ही 10 वे दिन विजयादशमी के दिन घर वापसी की जिस कारण से यहा पर विजयादशमी के दिन को देवी दुर्गा के घर वापसी के दिन के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। इस दिन बंगाली समुदाय की औरते पूरा श्रृंगार कर पारंपरिक परिधान पहन कर सिंदूर से होली खेलती हैं।
- मैसूर में विजयदशमी के त्यौहार को चामुंडेश्वरी देवी के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। देवी चामुंडेश्वरी को देवी दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है। विजयदशमी के दिन मैसूर महल से चामुंडेश्वरी देवी की झांकी निकाली जाती हैं। इसमें हजारों लोग शामिल होते हैं इस झांकी में हाथी-घोड़ो भी सम्मिलित किये जाते हैं।