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महाभारत के बाद हुआ मौसुल का युद्ध जाने इस युद्द के बारे में और क्या हुआ इस युद्घ में

जयपुर। इस बात को बहुत कम लोग जानते होंगे की महाभारत के बाद मौसुल का युद्ध हुआ था, इस युद्द में कृष्ण के कुल के अधिकतर लोग मारे गये थे। इसके बाद एक दोपहर भगवान कृष्ण एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहें थे तो एक बहेलिये ने शिरण समझ कर विषाक्त बाण को कृष्ण
महाभारत के बाद हुआ मौसुल का युद्ध जाने इस युद्द के बारे में और क्या हुआ इस युद्घ में

जयपुर। इस बात को बहुत कम लोग जानते होंगे की महाभारत के बाद मौसुल का युद्ध हुआ था, इस युद्द में कृष्ण के कुल के अधिकतर लोग मारे गये थे। इसके बाद एक दोपहर भगवान कृष्ण एक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहें थे तो एक बहेलिये ने शिरण समझ कर विषाक्त बाण को कृष्ण के पांव पर मारा जिसके बाद कृष्ण जी ने देह त्याग कर दिया।

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जब अर्जुन को यह समाचार मिला तो अर्जुन तुरंत द्वारका पहुंचे, जहां जाकर उन्होंने देखा कि द्दारका में कृष्ण की पत्नियां समेत सभी लोग विलाप कर रही थीं। इसे देखकर अर्जुन का ह्रदय भी द्रवित हो गया। उस समय द्वारिका में पुरुषों में यदि कोई जीवित बचा था तो वे केवल कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ और कृष्ण के पिता वसुदेव थे।

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इस घटना के कुछ समय बाद ही कृष्ण के पिता वासुदेव की भी मृत्यु हो जाती है।  जब अर्जुन समुद्र किनारे जाते हैं तो वहां पर शवों का अम्बार लगा हुआ देखते हैं, इसके बाद वे कई दिनों तक वहाँ सभी का अंतिम संस्कार कराते हैं।

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इसके बाद  भगवान् कृष्ण के अंतिम संस्कार के दौरान कृष्ण की कई पत्नियां कृष्ण की चिता में ही कूद कर अपने प्राण त्याग देती हैं, जिसे देख कर अर्जुन का हृदय भी द्रवित हो जाता हैं। इसके बाध अर्जुन बाकी बचे सभी द्वारकावासियों के साथ इन्द्रप्रस्थ की ओर प्रस्थान करते हैं। जैसे ही द्वारकावासी नगर से बाहर जाते है तो सम्पूर्ण द्वारका समुद्र में विलीन हो जाती है। इसके देख सभी लोग अचरज में पड़ जाते हैं।

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अर्जुन जिन्होंने महाभारत जैसे भयंकर युद्ध में अपने युद्ध कौशल से सभी को अचंभित करने वाले अर्जुन उस समय अपने को असहाय महसूस करते हैं और उनकी सारी शक्तियां लुप्त हो चुकी होती है। क्योकि तब द्वापर युग का अंत शुरू हो जाता है। इन्द्रप्रस्थ पहुंचकर अर्जुन ने कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ को राजा बना दिया और सभी द्वारकावासी वहाँ निवास करने लगे। इसके बाद कृष्ण की कुछ पत्नियां वन में तपस्या करने चली गयीं और उन्होंने वन में ही अपने देह का त्याग कर दिया।

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