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लोगों के जूते सिलने वाले संत रविदास कैसे बने कृष्ण के परम भक्त और मीरा के गुरु

जयपुर। आज संत रविदास जयंती है। इस साल यह जयंती 19 फरवरी यानी आज मनाई जा रही है। हिन्दू पंचाग के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती मनाई जाती है। संत रविदास जी की गिनती महान व परम ज्ञानी संतों में हुआ करती है। संत रविदास सरल हृदय के थे
लोगों के जूते सिलने वाले संत रविदास कैसे बने कृष्ण के परम भक्त और मीरा के गुरु

जयपुर। आज संत रविदास जयंती है। इस साल यह जयंती 19 फरवरी यानी आज मनाई जा रही है। हिन्दू पंचाग के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती मनाई जाती है। संत रविदास जी की गिनती महान व परम ज्ञानी संतों में हुआ करती है।

लोगों के जूते सिलने वाले संत रविदास कैसे बने कृष्ण के परम भक्त और मीरा के गुरु

संत रविदास सरल हृदय के थे जो हमेशा लोगो की सेवा में लगे रहते थे। संत रविदास दुनिया का आडंबर से अपने को दूर रखते थे व हमेशा हृदय की पवित्रता पर जोर दिया करते थे इनके उपदेशों में भी मन की शुद्धता पर बल दिया जाता है। इस बारे में इनकी एक कहावत  – “जो मन चंगा तो कठौती में गंगा” काफी प्रचलित है।

लोगों के जूते सिलने वाले संत रविदास कैसे बने कृष्ण के परम भक्त और मीरा के गुरु

इस कहावत से संबंधित एक कहानी भी काफी प्रचलित हैं, एक बार एक महिला संत रविदास के पास से जा रही थी। उस समय संत रविदास लोगों के जूते सिलते हुए भगवान का भजन करने में लीन थे। तभी वह महिला उनके पास पहुंची और संत रविदास को गंगा नहाने की सलाह दी। इसके बाद संत रविदास जो मस्तमौला संत थे उन्होने कहा कि जो मन चंगा तो कठौती में गंगा। जिसका अर्थ हुआ यदि आपका मन पवित्र है तो यहीं गंगा है।

लोगों के जूते सिलने वाले संत रविदास कैसे बने कृष्ण के परम भक्त और मीरा के गुरु

इस पर महिला ने संत से कहा कि आपकी कठौती में गंगा है तो मेरी झुलनी गंगा में गिर गई थी। तो आप मेरी झुलनी ढ़ूढ़ दीजिए। इस बात को सुनकर संत रविदास ने अपने चमड़े भिगोने की कठौती में हाथ डाला और  उस महिला की झुलनी को निकालकर उसे दे दिया। इस चमत्कार से महिला हैरान रह गई जिसके बाद से संत की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई।

लोगों के जूते सिलने वाले संत रविदास कैसे बने कृष्ण के परम भक्त और मीरा के गुरु

संत रविदास भगवान कृष्ण की परमभक्त थे इसके साथ ही संत रविदास मीराबाई के गुरु भी थे।  मीराबाई ने संत रविदास से ही प्रेरणा ले कर भक्तिमार्ग को अपनाया था और वह कृष्णा की भक्ति में लीन हो गईं थीं। कहा जाता है संत रविदास ने ऐसा बहुत बार समय आया था जब मीराबाई की जान बचाकर उन्हें जीवनदान दिया था।

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