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जानिए कब बनता है पितृपक्ष का योग, श्राद्ध की तिथि के याद न होने पर क्या करें

जयपुर। पितृपक्ष 24 सितंबर से लगने जा रहा है। इस दिन से अगले 15 दिन पितरों को समर्पित रहेंगे। इन दिनों में पितरों को याद कर तर्पण किया जाएंगा। इसके साथ ही पितरों को श्राद्ध किया जाएंगा व ब्राह्मणों को भोजन कराया जाएंगा। आज इस लेख में हम पितृपक्ष के योग व श्राद्ध की तिथि
जानिए कब बनता है पितृपक्ष का योग, श्राद्ध की तिथि के याद न होने पर क्या करें

जयपुर। पितृपक्ष 24 सितंबर से लगने जा रहा है। इस दिन से अगले 15 दिन पितरों को समर्पित रहेंगे। इन दिनों में पितरों को याद कर तर्पण किया जाएंगा। इसके साथ ही पितरों को श्राद्ध किया जाएंगा व ब्राह्मणों को भोजन कराया जाएंगा। आज इस लेख में हम पितृपक्ष के योग व श्राद्ध की तिथि याद न होने पर क्या किया जाए इस बारे में बता रहें हैं।

जानिए कब बनता है पितृपक्ष का योग, श्राद्ध की तिथि के याद न होने पर क्या करें

ऐसे बनता है पितृपक्ष का योग
हिंदू धर्म में सभी के लिए पितृपक्ष का विशेष महत्व रहता है। पितृपक्ष के 15 दिन पितरों को याद करने के होता है। शास्त्रों में माना गया है की श्राद्ध पक्ष भाद्रपक्ष की पूर्णिमा के दिन से शुरु हो कर  आश्विन मास की अमावस्या तक रहता है। इसके साथ ही इन 15 दिनों में तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष की भाद्रपद पूर्णिमा को केवल उन लोगो का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन वर्ष साल की किसी भी पूर्णिमा के दिन हुआ हो।

जानिए कब बनता है पितृपक्ष का योग, श्राद्ध की तिथि के याद न होने पर क्या करें
कभी कभी ऐसा होता है कि कई लोगो को यह पता नहीं होता है कि उनके किसी प्रियजन की मृत्यु कब हुई है। ऐसी स्थिति में पितरों को याद कर उनकी पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। अगर पितरों की मृत्यु की तिथि ज्ञात न होने पर शास्त्रों में इसके निवारण के बारे में बताया गया है। शास्त्रों में ऐसी स्थिति पर बताया गया है कि आश्विन अमावस्या के दिन तर्पण करना चाहिए। इस अमावस्या का एक नाम सर्वपितृ अमावस्या भी है। इसके साथ ही परिवार के किसी सदस्य की अगर अकाल मृत्यु हुई है तो उसके लिए चतुर्दशी तिथि के दिन श्राद्ध किया जाना चाहिए। इसके साथ साथ पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का श्राद्ध नवमी तिथि के दिन किया जाता है।

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