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जब संत तुकाराम ने अपने शिष्य से कहा तुम मर जाओगे

हर व्यक्ति अपने जीवन में सुखी और सफल होना चाहता हैं इसके लिए लोग कड़ी मेहनत करते हैं। मगर मेहनत के साथ साथ व्यवहार भी हमारे जीवन को सुखी और सफल बनाता हैं। इसलिए हमें मेहनत के साथ साथ व्यवहार पर भी ध्यान देना चाहिए। एक ऐसे ही संत थे तुकाराम, संत तुकाराम के जीवन से जुड़े कई ऐसी कहानियां हैं, जिनमें सुखी और सफल जीवन के मंत्र छिपे हैं।
जब संत तुकाराम ने अपने शिष्य से कहा तुम मर जाओगे

हर व्यक्ति अपने जीवन में सुखी और सफल होना चाहता हैं इसके लिए लोग कड़ी मेहनत करते हैं। मगर मेहनत के साथ साथ व्यवहार भी हमारे जीवन को सुखी और सफल बनाता हैं। इसलिए हमें मेहनत के साथ साथ व्यवहार पर भी ध्यान देना चाहिए। एक ऐसे ही संत थे तुकाराम, संत तुकाराम के जीवन से जुड़े कई ऐसी कहानियां हैं, जिनमें सुखी और सफल जीवन के मंत्र छिपे हैं। जो लोग इन जीवन मंत्रों को अपने जीवन में अपनाते हैं उनकी जीवन की कई परेशानियां समाप्त हो सकती हैं। तो आइए जानते हैं तुकारात और उनके शिष्य का प्रसंग।जब संत तुकाराम ने अपने शिष्य से कहा तुम मर जाओगे

कथा के मुताबिक संत तुकाराम के कई शिष्य थे। उनमें एक शिष्य बहुत ही क्रोधी स्वभाव का था। बात बात पर उसे क्रोध आ जाता था। वही एक दिन क्रोधी शिष्य ने अपने गुरु से कहा कि गुरुजी आप कितना शांत रहते हैं, किसी पर गुस्सा नहीं करते हैं। मुझे आपकी तरह बनना हैं। कृपा मुझे रास्ता बताएं। संत तुकाराम ने अपने शिष्य से कहा कि तुम्हारा स्वभाव बदल पाना असंभव हैं, क्योंकि तुम्हारे पास ज्यादा वक्त नहीं हैं एक सप्ताह में तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।जब संत तुकाराम ने अपने शिष्य से कहा तुम मर जाओगे संत तुकाराम की मुंह से अपनी मृत्यु की बात सुनते ही शिष्य दुखी हो गया और अपने गुरु की बातों पर विश्वास करके वह वहां से चला गया। उस दिन के बाद वह अपने सभी साथियों के साथ प्रेम से रहने लगा। किसी पर भी क्रोध करना छोड़ दिया। शिष्य यह सोच रहा था कि जब कुछ दिन ही और जीना हैं तो सभी के साथ प्रेम से रहना ही अच्छा होगा। वह दिन रात पूजा पाठ करने लगा और जिन लोगो के साथ भी वह बुरा व्यवहार करता उनसे तुरंत माफी मांग लेता। जब संत तुकाराम ने अपने शिष्य से कहा तुम मर जाओगेवही सप्ताह के अंतिम दिन वह अपने गुरुजी के पास जाने को सोचा जिससे उनका आशीर्वाद ले सकें। शिष्य जब अपने गुरु तुकारात के पास पहुंचा तो उन्होंने पूछा कि तुम्हारा एक सप्ताह कैसे व्यतीत हुआ। क्या तुमने किसी पर गुस्सा किया। शिष्य ने जवाब दिया कि नहीं, मैं इस पूरे सप्ताह सभी के साथ प्रेम से रहा। मेरे पास समय कम हैं इसलिए मैं सभी के साथ अच्छी तरह व्यवहार कर रहा था और साथ ही जिन लोगों को मैने मन दुखाया था। जब संत तुकाराम ने अपने शिष्य से कहा तुम मर जाओगेउनसे भी क्षमा याचना की। वही संत तुकाराम ने शिष्य को बताया कि बस यही अच्छा स्वभाव बनाने का तरीका हैं जब मैं जानता हूं कि मेरी मृत्यु किसी भी समय हो सकती हैं तो मैं सभी से प्रेम पूर्वक ही बर्ताव करता हूं, साथ ही किसी पर गुस्सा भी नहीं करता हूं। संत तुकारात की बातों से शिष्य को समझ आया कि उन्होंने उसे ये सीख देने के लिए मृत्यु का डर दिखाया हैं।

हर व्यक्ति अपने जीवन में सुखी और सफल होना चाहता हैं इसके लिए लोग कड़ी मेहनत करते हैं। मगर मेहनत के साथ साथ व्यवहार भी हमारे जीवन को सुखी और सफल बनाता हैं। इसलिए हमें मेहनत के साथ साथ व्यवहार पर भी ध्यान देना चाहिए। एक ऐसे ही संत थे तुकाराम, संत तुकाराम के जीवन से जुड़े कई ऐसी कहानियां हैं, जिनमें सुखी और सफल जीवन के मंत्र छिपे हैं। जब संत तुकाराम ने अपने शिष्य से कहा तुम मर जाओगे

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