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Matamah shradh 2020: 17 अक्टूबर को मातामह श्राद्ध, जानिए इसका महत्व

आपको बता दें कि श्राद्ध कर्म को हिंदू धर्म में खास महत्व दिया जाता हैं वही इस साल अधिक मास आश्विन होने से मातामह श्राद्ध नाना, नानी का पितृपक्ष के एक महीने बाद निज आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर दिन शनिवार को पड़ रहा हैं परिजनों की स्मृति में तर्पण और श्राद्ध
Matamah shradh 2020: 17 अक्टूबर को मातामह श्राद्ध, जानिए इसका महत्व

आपको बता दें कि श्राद्ध कर्म को हिंदू धर्म में खास महत्व दिया जाता हैं वही इस साल अधिक मास आश्विन होने से मातामह श्राद्ध नाना, नानी का पितृपक्ष के एक महीने बाद निज आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर दिन शनिवार को पड़ रहा हैं Matamah shradh 2020: 17 अक्टूबर को मातामह श्राद्ध, जानिए इसका महत्वपरिजनों की स्मृति में तर्पण और श्राद्ध कर्म की तिथि अनुसार करने की परंपरा होती हैं मगर कई बार तिथियां याद न होने पर दिवंगत के परिवार में संतान ना होने सहित कई परेशानियां होती रहती हैं।Matamah shradh 2020: 17 अक्टूबर को मातामह श्राद्ध, जानिए इसका महत्व

ज्योतिष के मुताबिक संतान ना होने की स्थिति में मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता हैं अक्सर माता मह श्राद्ध पितृपक्ष की समाप्ति के अगले दिन पड़ता हैं मगर इस बार अधिकमास होने के चलते एक महीने के बाद 17 अक्टूबर को यह पड़ रहा हैं नवमी या अमावस्या के दिन सर्व पितृ श्राद्ध पर तिथि पता नहीं होने पर श्राद्ध कर्म हो सकता हैं। जिनके नाम और गोत्र का पता नहीं हो उनका देवताओं के नाम पर भी तर्पण किया जा सकता हैं Matamah shradh 2020: 17 अक्टूबर को मातामह श्राद्ध, जानिए इसका महत्वपरंपरा यह भी है कि लोग अपनी संतान नहीं होने पर दत्तक गोद लेते थे जिससे मृत्यु के बाद वो पिंडदान कर सकें। मान्यताओं के मुताबिक दत्तक पुत्र दो पीढ़ी तक श्राद्ध कर सकता हैं। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को श्राद्ध पक्ष कहा जाता हैं इसमें दिवंगत आत्माओं को उनके स्वर्गवास की तिथि को उनका श्राद्ध निमित्त तर्पण किया जाता हैं यहां अपराह्न के वक्त मृत्यु तिथि हो उस दिन संबंधित दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता हैं। वही सन्यासियों का श्राद्ध कर्म द्वादशी तिथि को किया जाता हैं। Matamah shradh 2020: 17 अक्टूबर को मातामह श्राद्ध, जानिए इसका महत्व

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