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जाने महाकालेश्वर की भस्म आरती के बारे में,यहां

महाकाल की तड़के सुबह की पूजा तांत्रिक परंपरा से की जाती है। इस पूजा में चिता की ताज़ी राख से महाकाल की भस्म आरती की जाती है। उज्जैन में महाकाल की पूजा में सुबह की आरती भस्म से की जाती है जो भगवान शिव को जगाने, उनका श्रृंगार करने और उनकी सबसे पहली आरती होती है। इस आरती की खासियत यह है कि आरती हर रोज़ सुबह चार बजे, श्मशान घाट से लाई गई ताजी चिता की राख को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर छिड़का जाता है।
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जयपुर। उज्जैन के क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर उज्जैन शहर बसा है, जहां पर बाहर ज्योतिर्लिंगों मे से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। इस ज्योतिर्लिंग को बहुत खास माना जाता है क्योंकि महाकालेश्वर देश ही नहीं बल्कि दुनिया में इकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग हैं जिस कारण से यहां की मान्यता भी अलग ही हैं।

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महाकालेंश्वर को उज्जैन का राजा माना जाता है, महाकाल की पूजा भी यहां पर अलग ही परंपरा से की जाती है। महाकाल की तड़के सुबह की पूजा तांत्रिक परंपरा से की जाती है। इस पूजा में चिता की ताज़ी राख से महाकाल की भस्म आरती की जाती है।

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उज्जैन में महाकाल की पूजा में सुबह की आरती भस्म से की जाती है जो भगवान शिव को जगाने, उनका श्रृंगार करने और उनकी सबसे पहली आरती होती है। इस आरती की खासियत यह है कि आरती हर रोज़ सुबह चार बजे,  श्मशान घाट से लाई गई ताजी चिता की राख को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर छिड़का जाता है।

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इसमें सबसे पहले सुबह चार बजे भगवान का जलाभिषेक किया जाता है, उसके बाद श्रृंगार किया जाता है और ज्योतिर्लिंग को चिता के भस्म से सराबोर कर दिया जाता है। शास्त्रों में चिता की भस्म को अपवित्र माना जाता है लेकिन भगवान शिव के स्पर्श से भस्म भी पवित्र हो जाता है।

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शास्त्रों में माना गया है कि शिवभक्तों को कम से कम एक बार भगवान महाकालेश्वर की भस्म आरती में जरुर शामिल होना चाहिए। भस्म आरती में शामिल होने के नियम हैं जिनमें पुरुष धोती पहनकर और महिलाएं साड़ी पहनकर ही इस आरती में शामिल हो सकती हैं। ऐसा न करने पर उन्हे आरती में शामिल नहीं किया जाता है। कहते हैं जो महाकाल का भक्त है उसका काल कुछ नहीं बिगाड़ पाता, शायद इसलिए महाकाल के इस अद्भुत रुप की एक झलक पाने के लिए देश विदेश से लोग इस नगरी में पहुंचते हैं।

महाकाल की तड़के सुबह की पूजा तांत्रिक परंपरा से की जाती है। इस पूजा में चिता की ताज़ी राख से महाकाल की भस्म आरती की जाती है। उज्जैन में महाकाल की पूजा में सुबह की आरती भस्म से की जाती है जो भगवान शिव को जगाने, उनका श्रृंगार करने और उनकी सबसे पहली आरती होती है। इस आरती की खासियत यह है कि आरती हर रोज़ सुबह चार बजे,  श्मशान घाट से लाई गई ताजी चिता की राख को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर छिड़का जाता है। जाने महाकालेश्वर की भस्म आरती के बारे में,यहां

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