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यहां जानें शनि शिंगणापुर मंदिर की विशेषता के बारे में

महाराष्ट्र में स्थित इस शनि देव का यह मंदिर शनि देव का जन्म स्थान माना जाता है, शनि शिंगणापुर की विशेषता यह है की यहां यहां शनि देव हैं, लेकिन उनका मंदिर नहीं है। यहा पर घरों में दरवाजे में ताले नहीं लगते। वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है। शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव की प्रतिमा पांच फीट नौ इंच ऊंची और एक फीट छह इंच चौड़ी है।
यहां जानें शनि शिंगणापुर मंदिर की विशेषता के बारे में

जयपुर। जीवन में खुशियों की सौगात पाने के लिए हमारे ऊपर हमेशा शनि की कृपा बरकरार रहनी जरुरी है। शनि हमें जीवन की हर खुशी को देते हैं। शनि की कृपा से ही जीवन में सफलता व प्रगति मिलती है। इस कारण से शनि को प्रसन्न करने के लिए या शनि की कुदृष्टी से बचने के लिए ज्योतिषशास्त्र हमेशा आगाह करता रहता है।

यहां जानें शनि शिंगणापुर मंदिर की विशेषता के बारे में

शनिदेव न्याय के देवता है व उनके दण्ड विधान से कोई बच नहीं सकता इसके साथ ही शनि को ज्योतिष में सबसे प्रभावशाली ग्रह माना जाता है इसके साथ ही शनि मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर दण्ड देते हैं। इसी कारण से शनिदेव की पूजा में बहुत सावधानी बरतने की जरुत हैं और शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन विशेष रुप से इनकी पूजा की जाती है।

आज हम इस लेख में शनि देव के कुछ मंदिरों के बारे मे बता रहे हैं जो पूरे देश में प्रसिद्ध हैं, जिन मंदिरों की अपनी अलग विशेषता के कारण ये चमत्कारी धाम हमेशा भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं।

यहां जानें शनि शिंगणापुर मंदिर की विशेषता के बारे में

शनि शिंगणापुर (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र में स्थित इस शनि देव का यह मंदिर शनि देव का जन्म स्थान माना जाता है, शनि शिंगणापुर की विशेषता यह है की यहां यहां शनि देव हैं, लेकिन उनका मंदिर नहीं है। यहा पर घरों में दरवाजे में ताले नहीं लगते। वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है। शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव की प्रतिमा पांच फीट नौ इंच ऊंची और एक फीट छह इंच चौड़ी है।

यहां जानें शनि शिंगणापुर मंदिर की विशेषता के बारे में

शनि मंदिर (इंदौर)

शनिदेव का दूसरा चमत्कारिक मंदिर इंदौर में स्थित है। इसे शनि देव का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। इस मंदिर के लिए मान्यता है कि जूनी इंदौर में स्थापित इस मंदिर में शनि देवता स्वयं पधारे थे।

यहां जानें शनि शिंगणापुर मंदिर की विशेषता के बारे में

शनिचरा मंदिर (मुरैना)

मध्य प्रदेश के मुरैना के एंती गांव में शनिदेव का मंदिर है जिसे त्रेतायुग का शनि मंदिर माना जाता है।  इस मंदिर में शनि की प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है। इस मंदिर के लिए मान्यता है कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर मुरैना पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था। इस मंदिर के बाहर हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है।

शनि मंदिर (प्रतापगढ़)

शनि देव का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित है, भगवान शनि का प्राचीन और पौराणिक मन्दिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र हमेशा से ही रहा हैं। इस मंदिर मे दर्शन करने मात्र के ही भक्त शनिदेव की विशेष कृपा का पात्र बन जाता है। इस मंदिर में प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।

महाराष्ट्र में स्थित इस शनि देव का यह मंदिर शनि देव का जन्म स्थान माना जाता है, शनि शिंगणापुर की विशेषता यह है की यहां यहां शनि देव हैं, लेकिन उनका मंदिर नहीं है। यहा पर घरों में दरवाजे में ताले नहीं लगते। वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है। शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव की प्रतिमा पांच फीट नौ इंच ऊंची और एक फीट छह इंच चौड़ी है। यहां जानें शनि शिंगणापुर मंदिर की विशेषता के बारे में

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