Samachar Nama
×

हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार को क्यों दिया जाता है महत्व जानें

हमारे प्राचीन शास्त्र ऋग्वेद व अथर्ववेद में वैवाहिक विधि-विधानों को काव्यात्मक अभिव्यक्ति के साथ वर्णन मिलता है।इस संस्कार के अवसर पर वर-वधू अपने नवीन जीवन के उत्तरदायित्व का निर्वहन करने की प्रतिज्ञा लेते हैं। लड़की को लडके का सगोत्र नहीं होना चाहिए और माता की सात पीढ़ी में से भी लडकी का संबंध नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही माना जाता है कि दो सगी बहनों का विवाह, दो सगे भाईयों से न करें।एक ही परिवार में भाई बहनों के विवाह में 6 माह का समय रखें।
हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार को क्यों दिया जाता है महत्व जानें

जयपुर। हिन्दू धर्म में सभी संस्कारों में विवाह संस्कार को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है। साथ ही किसी भी व्यक्ति के जीवन की दूसरी शुरुआत विवाह के बाद से होती है। इसलिए विवाह संस्कार के बहुत महत्व दिया जाता है। जिसके बाद गृहस्थी का आरम्भ होता है।

हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार को क्यों दिया जाता है महत्व जानें

हमारे प्राचीन शास्त्र ऋग्वेद व अथर्ववेद में वैवाहिक विधि-विधानों को काव्यात्मक अभिव्यक्ति के साथ वर्णन मिलता है। आज हम इस लेख में शास्त्रों में बताई उन बातों को बता रहें हैं जिनके आधार पर विवाह संस्कार को इतना महत्व दिया जाता है। इस संस्कार के अवसर पर वर-वधू अपने नवीन जीवन के उत्तरदायित्व का निर्वहन करने की प्रतिज्ञा लेते हैं।

हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार को क्यों दिया जाता है महत्व जानें

क्या है विवाह संस्कार?

  • शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि लड़की को लडके का सगोत्र नहीं होना चाहिए और माता की सात पीढ़ी में से भी लडकी का संबंध नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही माना जाता है कि दो सगी बहनों का विवाह, दो सगे भाईयों से न करें।
  • एक ही परिवार में भाई बहनों के विवाह में 6 माह का समय रखें, एक ही परिवार की लड़की के विवाह के पीछे लड़कों का विवाह हो सकता है।

हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार को क्यों दिया जाता है महत्व जानें

  • यमल यानी भाई-बहिनों का एक ही मण्डप में विवाह किया जा सकता है। लेकिन परिवार में विवाह संस्कार होने के बाद 6 माह तक मुण्डन, यज्ञोपवीत न करें।
  • शास्त्रों में माना जाता है कि सम्वत्सर परिवर्तन के बाद जैसे माघ, फाल्गुन मास में एक मंगलकार्य हो तो आगे चैत्र के बाद दूसरा कोई मंगल कार्य कर सकते है। उसमें कोई दोष नहीं है।

हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार को क्यों दिया जाता है महत्व जानें

हमारे प्राचीन शास्त्र ऋग्वेद व अथर्ववेद में वैवाहिक विधि-विधानों को काव्यात्मक अभिव्यक्ति के साथ वर्णन मिलता है।इस संस्कार के अवसर पर वर-वधू अपने नवीन जीवन के उत्तरदायित्व का निर्वहन करने की प्रतिज्ञा लेते हैं। लड़की को लडके का सगोत्र नहीं होना चाहिए और माता की सात पीढ़ी में से भी लडकी का संबंध नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही माना जाता है कि दो सगी बहनों का विवाह, दो सगे भाईयों से न करें।एक ही परिवार में भाई बहनों के विवाह में 6 माह का समय रखें। हिन्दू धर्म में विवाह संस्कार को क्यों दिया जाता है महत्व जानें

Share this story