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इस मंदिर में भगवान शिव ‘बूढ़ा देव’ के रुप में पूजे जाते हैं, यहां पर होती है भस्म आरती

जयपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में बूढ़ापारा स्थित स्वयंभू बूढ़ेश्वर महादेव की भस्म आरती के लिए रामेश्वरम से भस्म मंगाई जाती है। इस मंदिर में प्रत्येक सोमवार के दिन भस्म की आरती होती है।इस मंदिर में प्राचीन समय से पूजा होती है, यहां पर चार सौ साल पहले आदिवासी पूजा किया करते थे। भगवान शिव के
इस मंदिर में भगवान शिव ‘बूढ़ा देव’ के रुप में पूजे जाते हैं, यहां पर होती है भस्म आरती

जयपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में बूढ़ापारा स्थित स्वयंभू बूढ़ेश्वर महादेव की भस्म आरती के लिए रामेश्वरम से भस्म मंगाई जाती है। इस मंदिर में प्रत्येक सोमवार के दिन भस्म की आरती होती है।इस मंदिर में प्राचीन समय से पूजा होती है, यहां पर चार सौ साल पहले आदिवासी पूजा किया करते थे। भगवान शिव के इस मंदिर में शिव की बूढ़ादेव के रूप में पूजा होती हैं। वर्तमान में यह मंदिर  बूढ़ापारा स्थित रायपुर पुष्टिकर समाज के अधीन माना गया है।

इस मंदिर में भगवान शिव ‘बूढ़ा देव’ के रुप में पूजे जाते हैं, यहां पर होती है भस्म आरती

इस मंदिर का जीर्णोद्धार विक्रम संवत् 2009  में मंदिर किया गया है। इस मंदिर में हनुमान जी,गायत्री माता,  नरसिंग भगवान,  राधाकृष्ण का मंदिर है यहां पर काल भैरव व माता संतोषी का मंदिर भी बना रहता हैं। इस मंदिर में आरती का समय सुबह साढ़े 5 बजे व शाम साढ़े 7 बजे में होती है।

इस मंदिर में भगवान शिव ‘बूढ़ा देव’ के रुप में पूजे जाते हैं, यहां पर होती है भस्म आरती

मंदिर में प्रतिदिन दोपहर 12 बजे भोग लगाया जाता है। सावन माह में इस मंदिर में सहस्रघट अभिषेक किया जाता है। सहस्रघट अभिषेक के लिए खारून, राजिम के त्रिवेणी संगम का पवित्र जल सहित गंगा, नर्मदा का पावन जल लाया गया।

इस मंदिर में भगवान शिव ‘बूढ़ा देव’ के रुप में पूजे जाते हैं, यहां पर होती है भस्म आरती

सोमवार के दिन बूढ़ेश्वर महादेव का स्वरूप पेड़ा से बनाया जाता है इसके साथ ही मिट्टी के कलश से बूढ़ेश्वर महादेव गर्भगृह में विशेष श्रृंगार किया जाता है। इस मंदिर में हमेशा भक्तों का ताता लगा रहता है।सावन में सहस्रघट अभिषेक के बाद रामेश्वरम से लाई गई भस्म से बूढ़ेश्वर महादेव की भस्म आरती की जाती है। दोपहर 12 बजे बूढ़ेश्वर महादेव को राजभोग लगाया जाएगा।

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