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भद्रा कहा है इसके जानने का तरीका है बेहद आसान

मीन, धनु, कन्या, तुला राशि में चन्द्रमा हो तो उस समय भद्रा पाताल में होती है। वृश्चिक, वृष, मिथुन एवं सिंह राशि में चन्द्र है तो भद्रा भूमि पर मेष, कर्क, मकर, कुम्भ राशि में चन्द्रमा के होने पर भद्रा स्वर्ग में होती है। इसके साथ ही चतुदर्शी को भद्रा पूर्व में होती है, अष्टमी को आग्नेय कोण में, सप्तमी को दक्षिण में, पूर्णिमा को नैऋत्य कोण में, चतुर्थी को पश्चिम में, दशमी को वायव्य कोण में, एकादशी को उत्तर दिशा में तथा तृतीया तिथि को भद्रा ईशान कोण में होती है।
भद्रा कहा है इसके जानने का तरीका है बेहद आसान

जयपुर। प्राचीन समय से ही हर शुभ काम के लिए मुहूर्त देखें जाते हैं, बगैर मुहूर्त के कुछ भी नहीं किया जाता है। क्योंकिजीवन में मांगलिक काम को करने से पहले उसके शुभ समय की जानकारी प्राप्त करना भी जरुरी है, जिससे मांगलिक काम में कोई बाधा ना आएं। हिन्दू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारों के बारे में बताया गया है, इस संस्कारों को इनके उचित समय पर करना जरुरी है। ऐसे में इन संस्कारों के लिए शुभ मुहूर्त देख के काम करना जरुरी है। इसके साथ ही शुभ मुहूर्त निकालते समय भद्रा का भी  ध्यान रखा जाता है।आज हम इस लेख में भद्रा के बारे मे बता रहे हैं, अक्सर हमने सुना है कि किसी भी शुभ मूहूर्त में भद्रा को सबसे पहले ध्यान में रख कर मूहूर्त निकाला जाता है।

भद्रा कहा है इसके जानने का तरीका है बेहद आसान

पूर्वकाल में देवदानव संग्राम से उत्पन्न हुई भद्रा जिसका मुख गर्दभी की तरह है। यह पुच्छ, सात हाथों एवं तीन पैरों से युक्त है। इसकी आंखे कौड़ी की तरह है  व शब्दघोष बादलों की तरह है। उत्पन्न होने के बाद भद्रा ने शव वस्त्रों को धारण कर धूम्रवर्ण की कान्ति से युक्त, पितरों के कारण में शव पर सवार होकर शीघ्र ही विशाल शरीर धारण कर लिया जिसके बाद दैत्यों की सेना में प्रविष्ट हुई। तदन्तर भद्रा ने अग्नि भस्म को धारण कर वायुवेग से दैत्यों का संहार किया। इसके बाद भगवान शिव के कानों में निवास किया।

भद्रा कहा है इसके जानने का तरीका है बेहद आसान

भगवान शिव के प्रसाद से ही भद्रा विष्टि काल में किये गये मंगल कार्यो की सिद्धि को अपनी अग्तिुल्य जिह्रवा से खाती है। जिस कारण से भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किये जाते। शुक्ल पक्ष में चतुर्थी एवं एकादशी के उत्तरार्ध में तथा पूर्णिमा एंव अष्टमी के पूर्वाद्ध में भद्रा होती है।

कृष्ण पक्ष तृतीया एंव दशमी के उत्तरार्ध में व चतुदर्शी एवं सप्तमी के पूर्वार्द्ध में भद्रा होती है। लेकिन कुछ ज्योतिष भद्रा के अन्तिम 3 घटी को पुच्छ मानकर शुभ कहा है।

भद्रा कहा है इसके जानने का तरीका है बेहद आसान

भद्रा कहा है इसके जानने का तरीका

मीन, धनु, कन्या, तुला राशि में चन्द्रमा हो तो उस समय भद्रा पाताल में होती है। वृश्चिक, वृष, मिथुन एवं सिंह राशि में चन्द्र है तो भद्रा भूमि पर मेष, कर्क, मकर, कुम्भ राशि में चन्द्रमा के होने पर भद्रा स्वर्ग में होती है। इसके साथ ही चतुदर्शी को भद्रा पूर्व में होती है, अष्टमी को आग्नेय कोण में, सप्तमी को दक्षिण में, पूर्णिमा को नैऋत्य कोण में, चतुर्थी को पश्चिम में, दशमी को वायव्य कोण में, एकादशी को उत्तर दिशा में तथा तृतीया तिथि को भद्रा ईशान कोण में होती है।

भद्रा कहा है इसके जानने का तरीका है बेहद आसान

मीन, धनु, कन्या, तुला राशि में चन्द्रमा हो तो उस समय भद्रा पाताल में होती है। वृश्चिक, वृष, मिथुन एवं सिंह राशि में चन्द्र है तो भद्रा भूमि पर मेष, कर्क, मकर, कुम्भ राशि में चन्द्रमा के होने पर भद्रा स्वर्ग में होती है। इसके साथ ही चतुदर्शी को भद्रा पूर्व में होती है, अष्टमी को आग्नेय कोण में, सप्तमी को दक्षिण में, पूर्णिमा को नैऋत्य कोण में, चतुर्थी को पश्चिम में, दशमी को वायव्य कोण में, एकादशी को उत्तर दिशा में तथा तृतीया तिथि को भद्रा ईशान कोण में होती है। भद्रा कहा है इसके जानने का तरीका है बेहद आसान

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