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हृदय रोग के लिए जिम्मेदार है आपकी कुंडली में बना ग्रहों का ऐसा योग, जानें इसके बारे में

जयपुर। हम सभी की कुंडली में ग्रहों की स्थिति हमारे भविष्य के बारे में बताती है। इसके साथ ही भविष्य में घटने वाले रोगो के बारे में कुंडली को देख कर पता लगाया जा सकता है। आज हम इस लेख में हृदय रोगों के ज्योतिषिय कारण के बारे में बता रहें हैं। वैसे तो हृदय
हृदय रोग के लिए जिम्मेदार है आपकी कुंडली में बना ग्रहों का ऐसा योग, जानें इसके बारे में

जयपुर। हम सभी की कुंडली में ग्रहों की स्थिति हमारे भविष्य के बारे में बताती है। इसके साथ ही भविष्य में घटने वाले रोगो के बारे में कुंडली को देख कर पता लगाया जा सकता है।  आज हम इस लेख में हृदय रोगों के ज्योतिषिय कारण के बारे में बता रहें हैं। वैसे तो हृदय रोग का कारण हमारी अनियमित दिनचर्या व अनुचित खान-पान होता है। लेकिन हृदय रोग का दूसरा कारण ज्योतिषीय भी है। जिसके बारे में हम इस लेख में आपको बता रहे हैं।

हृदय रोग के लिए जिम्मेदार है आपकी कुंडली में बना ग्रहों का ऐसा योग, जानें इसके बारे में

इंसान के शरीर में हृदय बायीं ओर होता है जो रक्त को पूरे शरीर में पहुंचाता है। ज्योतिष के नजरिये से  देखे तो कुंडली में बारह राशियों होती है जिसमें चतुर्थ राशि यानि कर्क राशि को हृदय का स्थान और पंचम राशि सिंह को इसके सूचक के रुप में देखा जाता है। हृदय से संबंधित जानकारी के लिए  व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थ और पंचम भाव को देखा जाता है। इस भाव में शुभ व अशुभ ग्रहों की स्थिति को देख कर हृदय से संबंधित मामलों पर विचार किया जाता है।

हृदय रोग के लिए जिम्मेदार है आपकी कुंडली में बना ग्रहों का ऐसा योग, जानें इसके बारे में

  • ज्योतिष में सूर्य को हृदय का कारक माना गया है अगर सूर्य का संबंध मंगल, शनि अथवा राहु-केतु के अक्ष में होतो है तो व्यक्ति को हृदय से संबंधित परेशानी होती हैं।
  • कुंड़ली में सूर्य अगर नीच राशि में स्थित होता है तो व्यक्ति को हृदय रोग हो सकते हैं।

हृदय रोग के लिए जिम्मेदार है आपकी कुंडली में बना ग्रहों का ऐसा योग, जानें इसके बारे में

  • अगर सूर्य कुंडली में षष्ठम, अष्टम और द्वादश भाव के स्वामियों से संबंध बना रहा है तो हृदय रोग होने की पूरी संभावना रहती है।
  • कुंड़ली में सूर्य अगर पाप कर्तरी योग बना रहा है तो हृदय से जुड़े रोग होते हैं। पाप कर्तरी योग कुंडली में तब बनता है जब किसी भाव के दोनों ओर पाप ग्रह स्थित हों।

हृदय रोग के लिए जिम्मेदार है आपकी कुंडली में बना ग्रहों का ऐसा योग, जानें इसके बारे में

ज्योतिष में सूर्य को हृदय का कारक माना गया है अगर सूर्य का संबंध मंगल, शनि अथवा राहु-केतु के अक्ष में होतो है तो व्यक्ति को हृदय से संबंधित परेशानी होती हैं। कुंड़ली में सूर्य के दवारा पाप कर्तरी योग बनने से हृदय से जुड़े रोग होने की संभावना बड़ जाती हैं।

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