जानिए करतारपुर कॉरिडोर का धार्मिक महत्व
आपको बता दें, कि इस साल 12 नवंबर 2019 को सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व सिख धर्म के लोगों के लिए बहुत ही खास महत्व रखता हैं। वही करतारपुर गुरूद्वारा गुरु नानक देव जी ने ही बसाया था और यहीं पर गुरुनानक देव जी ने अपने जीवन के 17 साल बिताने के पश्चात प्राण भी त्याग दिए थे। इस कारण से सिखों के लिए करतारपुर गुरुद्वारा बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि करतारपुर कैसे सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़ा हुआ हैं तो आइए जानते हैं।
बता दें कि पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित करतारपुर गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी की समाधि पर बना हुआ हैं ऐसा कहा जाता हैं कि यहां गुरुनानक जी अपने जीवन के शुरुआती समय में खेती किया करते थे। गुरुनानक जी ने यही से नाम जपो, किरत करों और वंड छको अर्थात् नाम जपें, मेहनत करें और बांट कर खाएं, का सबक सभी को दिया था। वही बाद में नानक जी ने याहं से ही पवित्र लंगर की शुरुआत की थी। तब से कोई भी मनुष्य करतारपुर से भूखे पेट वापस नहीं जाता और यहां की खास बात तो यह हैं कि यहां अपनी अपनी श्रृद्धा के हिसाब से लंगर के लिए मुस्लिम भी चंदा देते हैं।
वही धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सन् 1985 में यहां जो बम गिरा था वह भी चमत्कारी शक्तियों के चलते फूटा नहीं था और उस बम को सेवाधारियों ने वहीं मढ़कर रख दिया था। वही करतारपुर गुरुद्वारे में सिखों ने गुरु नानक देव जी के पार्थिव शरीर के स्थान पर मिले फूलों की अंत्योष्टि हिंदू रीति रिवाजों से की थी। वही मुसलमानों ने फूलों को दफना दिया था तब से करतारपुर गुरुद्वारें में गुरु नानक देव जी की समाधि और क्रब दोनों ही उपस्थित हैं।