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सिर्फ कन्याओं को ही नहीं बालक को भी कराएं भोजन

जिस तरह किसी भी देवता की मूर्ति की पूजा करके व्यक्ति संबंधित देवता की कृपा को प्राप्त करता हैं ठीक उसी तरह से मनुष्य प्रकृति रूपी कन्याओं का पूजन करके साक्षात देवी मां भगवती की कृपा पा सकता हैं इन कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक कन्या के जन्म का एक संवत बीतने के बाद कन्या को कुवांरी की संज्ञा दी जाती हैं
सिर्फ कन्याओं को ही नहीं बालक को भी कराएं भोजन

नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म के लिए बहुत ही खास महत्व रखता हैं वही जिस तरह से नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती हैं ठीक उसी तरह से नवरात्रि के सप्तमी तिथि से कन्या पूजन भी शुरू हो जाता हैं वही नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता हैं कन्या पूजन के ​बिना नवरात्रि का पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता हैं वही अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवी का स्वरूप मानकर घर में इनका स्वागत सत्कार किया जाता हैं। सिर्फ कन्याओं को ही नहीं बालक को भी कराएं भोजनवही कन्या सृष्टि सृजन श्रंखला का अंकुर होती हैं ये पृथ्वी पर प्रकृति स्वरुप मां शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं जैसे सांस लिए बगैर आत्मा नहीं र सकती हैं ठीक वैसे ही कन्याओं के बिना इस सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं। वही कार्कन्डेय पुराण के मुताबिक सृष्टि सृजन में शक्ति रूपी नौ दुर्गा, व्यस्थापाक रूपी नौ ग्रह, चारों पुरुषार्थ दिलाने वाली नौ प्रकार की भक्ति ही संसार संचालन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।सिर्फ कन्याओं को ही नहीं बालक को भी कराएं भोजन

बता दें, कि जिस तरह किसी भी देवता के मूर्ति की पूजा करके व्यक्ति संबंधित देवता की कृपा को प्राप्त करता हैं ठीक उसी तरह से मनुष्य प्रकृति रूपी कन्याओं का पूजन करके साक्षात देवी मां भगवती की कृपा पा सकता हैं इन कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक कन्या के जन्म का एक संवत बीतने के बाद कन्या को कुवांरी की संज्ञा दी जाती हैं सिर्फ कन्याओं को ही नहीं बालक को भी कराएं भोजनदो साल की कन्या को कुमारी, तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छह साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या को सुभद्रा के समाना माना जाता हैं। वही धर्म ग्रंथों के मुताबिक तीन साल से लेकर नौ साल तक की कन्याओं को साक्षात देवी का स्वरूप माना जाता हैं।

जिस तरह किसी भी देवता की मूर्ति की पूजा करके व्यक्ति संबंधित देवता की कृपा को प्राप्त करता हैं ठीक उसी तरह से मनुष्य प्रकृति रूपी कन्याओं का पूजन करके साक्षात देवी मां भगवती की कृपा पा सकता हैं इन कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक कन्या के जन्म का एक संवत बीतने के बाद कन्या को कुवांरी की संज्ञा दी जाती हैं सिर्फ कन्याओं को ही नहीं बालक को भी कराएं भोजन

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