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हॉवर्ड बिजनेस से आया कंगना रनौत का बुलावा

बॉलीवुड में सभी एक्ट्रेस से अलग अपनी बेबाक राय रखने वाली कंगना रनौत एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार उन्होंने ऋतिक रोशन पर नहीं बल्कि महिलाओं के बारे में अपनी राय रखी। कंगना का कहना है कि अगर कोई महिला महत्वकांक्षी होती है तो लोग उसे नकारात्मकता से देखते हैं। कंगना खुद
हॉवर्ड बिजनेस से आया कंगना रनौत का बुलावा

बॉलीवुड में सभी एक्ट्रेस से अलग अपनी बेबाक राय रखने वाली कंगना रनौत एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार उन्होंने ऋतिक रोशन पर नहीं बल्कि महिलाओं के बारे में अपनी राय रखी। कंगना का कहना है कि अगर कोई महिला महत्वकांक्षी होती है तो लोग उसे नकारात्मकता से देखते हैं। कंगना खुद को रील और रियल लाइफ की आदर्श व खास श्रेणी की हीरोइन नहीं मानती हैं। बयानों के लेकर कई बार विवादों में आ चुकी कंगना रनौत को अमेरिका के हॉवर्ड बिजनेस स्कूल ने भारतीय सिनेमा को लेकर होने वाली चर्चा में भाषण देने के लिए बुलाया है।

आज वह देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं। उन्हें ग्लोबल आइकॉन के तौर पर कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित जो कि 2018 में होगी। यह कार्यक्रम हर वर्ष आयोजित होता है। इस मौके पर ‘भारत में बदलते सिनेमा’ और ‘भारत की मुख्यधारा सिनेमा जैसे विषयों पर चर्चा होती रही है। इस बार का विषय डिसरप्टिंग इनोवेशंस इन इंडिया’ है।

हाल ही में उन्होंने कहा था कि, वह अपना जीवन अपनी पसंद के मुताबिक जीती हैं, लेकिन मानती हैं कि 21वीं सदी में भी महिलाओं को अपनी आवाज उठाने में मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। कंगना से जब पूछा गया कि, ऐसी कौन सी चीजे हैं, जो लड़कियां उनके जीवन से सीख सकती हैं, तो उन्होंने मुंबई से टेलीफोन पर एक न्यूज एजेंसी से कहा कि, मैं हमेशा खुद को प्राथमिकता देती हूं। मैं उस सिद्धांत पर नहीं चलती, जिसमें कहा जाता है कि, अच्छी लड़कियों को अपने बारे में नहीं सोचना चाहिए और वे सभी बलिदान देने के लिए हैं। मेरा जीवन मेरा है और इसे अपने लिए जीना चाहती हूं।

उन्होंने आगे कहा कि, “जो महिलाएं अपनी पसंद से चलती हैं और जो अपने अधिकारों के लिए लड़ती हैं, उन्हें हमेशा विद्रोहियों के रूप में देखा जाता है।” कंगना ने कहा कि, “मैं खुद का आकलन अपनी सहजता व लड़ने की भावना से नहीं करती हूं।” वह मानती हैं कि 21वीं सदी में भी महिलाओं के लिए अपनी आवाज उठाने में मुश्किलें आती हैं। उन्होंने कहा कि, यह बहुत मुश्किल है। मध्यकालीन सामाजिक मानदंड कुछ लोगों के लिए बहुत ही सुविधाजनक हैं, इसलिए इससे महिलाओं और कुछ पुरुष भी परेशान होते हैं।’

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