नसबंदी योजना को लेकर संजय गांधी भी झेलना पड़ा था भारी विरोध
भारत में 25 जून 1975 को आपातकाल के दौरान संजय गांधी ने भी नसबंदी योजना को लागू किया था, लेकिन इस फैसले से उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। मध्यप्रेदश सरकार ने नसबंदी का लक्ष्य पूरा नहीं करने को लेकर एक अजीब फरमान जारी किया था। फरमान जारी कर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने राज्य के स्वास्थ्य कर्मचारियों को आदेश दिया था कि कम से कम एक व्यक्ति की नसबंदी कराओ। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो नौकरी से वीआरएस दिया जाएगा।
इस मामले को लेकर निर्देश जारी करने वाले उस आईएएस अधिकारी पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। नसबंदी का मामला जब मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया तो आदेश कौ कैंसिल कर दिया गया है। इससे पहले परिवार नियोजन कार्यक्रम में कर्मचारियं के लिए 5 से 10 पुरुषों की नसबंधी कराने को अनिवार्य किया गया था।
बीजेपी प्रवक्ता सैय्यद जाफर ने कहा है कि नसबंदी के मामले को लेकर मध्यप्रेदश में ऐसा लग रहा है कि आपात लगा हो। संजय गांधी की चौकड़ी अपने नियम बनाक उसे चलाने का प्रयास कर रही हो। दरअसल, जनसंख्या नियंत्रण के राष्ट्रीय कार्यक्रम का पालन राज्य सरकार को करना होता है।
बाते दें कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में महज 0.5 प्रतिशत पुरुषों ने नसबंदी करवाई है। सरकार ने फरमान जारी किया है। इसी रिपोर्ट का हवाला देकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और शीर्ष जिला अधिकारियों से जीरो वर्क आउटपुट देने वाले स्वास्थ्य (पुरुष)कर्मचारियों की पहचान करने को कहा। सरकार ने “नो वर्क नो पे” सिद्धांत राज्य में लागू करने के निर्देश दिए। सरकार ने साल 2019-20 में जिन कर्मचारियों ने एक-एक पुरुषों की नसबंदी नहीं कराई है, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेगने का फरमान जारी हुआ था।