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कजली तीज के अवसर पर इस तरह करें पूजन

इस बार कजरी तीज 18 अगस्त को मनाई जाएंगी। वही कजरी तीज का शुभ मुहूत्र 17 अगस्त के रात दस बजकर 48 मिनट से शुरू हो जाएगा। वही इसके बाद 18 अगस्त तक रहेगा। वही इस दिन नीमड़ी माता की पूजा अर्चना की जाती हैं वही महिलाएं पूजन से पहले मिट्टी और गोबर की दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाती हैं। वही इसके बाद नीम की टहनी को लगाकर दूध और जल डालते हैं वही दिया भी जलाया जाता हैं।
कजली तीज के अवसर पर इस तरह करें पूजन

वैसे तो हिंदू धर्म में कई तरह के पर्व और त्योहार मनाया जाता हैं, मगर महिलाओं के लिए कजरी तीज का बहुत ही महत्व होता हैं यह कजली तीज के नाम से भी प्रचलित होता हैं वही कजरी तीज भादो मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती हैं वही अगर अंग्रेजी कैलेंडर को देखें तो यह जुलाई व अगस्त के महीने में मनाई जाती हैं कजली तीज के अवसर पर इस तरह करें पूजनहरियाली तीज, हरितालिका तीज की तरह ही कजरी तीज भी सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण पर्व हैं। वही कजली तीज के मौके पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं वही जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर के लिए इस दिन व्रत रखती हैं कजरी तीज के मौके पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा को मिलाकर कई तरह से पकवान बनाए जाते हैं।कजली तीज के अवसर पर इस तरह करें पूजन

वही इस बार कजरी तीज 18 अगस्त को मनाई जाएंगी। वही कजरी तीज का शुभ मुहूत्र 17 अगस्त के रात दस बजकर 48 मिनट से शुरू हो जाएगा। वही इसके बाद 18 अगस्त तक रहेगा। वही इस दिन नीमड़ी माता की पूजा अर्चना की जाती हैं वही महिलाएं पूजन से पहले मिट्टी और गोबर की दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाती हैं। वही इसके बाद नीम की टहनी को लगाकर दूध और जल डालते हैं वही दिया भी जलाया जाता हैं।कजली तीज के अवसर पर इस तरह करें पूजन वही कजरी व्रत के दिन पूजन का विशेष महत्व बताया गया हैं पूजन के लिए सर्वप्रथम नीमड़ी माता को जल अर्पित किया जाता हैं वही इसके बाद रोली और चावल चढ़ाएं जाते हैं नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13—13 बिंदिया ऊंगली से लगाएं। वही मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाए और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए। इसके बाद फल भी चढ़ाएं। कजली तीज के अवसर पर इस तरह करें पूजन

इस बार कजरी तीज 18 अगस्त को मनाई जाएंगी। वही कजरी तीज का शुभ मुहूत्र 17 अगस्त के रात दस बजकर 48 मिनट से शुरू हो जाएगा। वही इसके बाद 18 अगस्त तक रहेगा। वही इस दिन नीमड़ी माता की पूजा अर्चना की जाती हैं वही महिलाएं पूजन से पहले मिट्टी और गोबर की दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाती हैं। वही इसके बाद नीम की टहनी को लगाकर दूध और जल डालते हैं वही दिया भी जलाया जाता हैं। कजली तीज के अवसर पर इस तरह करें पूजन

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