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कबीर जयंती पर पढ़ें उनकी अमृतवाणी

कबीर दास जी कहते हैं कि जब मैं इस संसार में बुराई ढूंढने निकला तो मुझे खुद बुरा कोई नहीं मिला। जब मैंने अपने अंदर झांक कर देखा तो मुझे एहसास हुआ कि इस संसार में मुझसे बुरा कोई व्यक्ति नहीं हैं। कबीर दास कहते हैं कि इस संसार को चलाने के लिए ऐसे व्यक्ति की जरूरत हैं, जैसे अनाज साफ करने वाला सूप होता हैं। जो साफ समान को बचा लेता हैं और गंदा को बाहर निकालकर फेंक देता हैं। कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। जैसे एक छोटे से तिनके को आप कुचलकर आगे बढ़ जाते हैं अगर वही तिनका आपके आंख में पड़ जाएं तो आपको बहुत ही पीड़ा होगी आप कोई काम नहीं कर पाएंगे।
कबीर जयंती पर पढ़ें उनकी अमृतवाणी

संत कबीर दास को बहुत ही महान माना जाता हैं वही इनकी जयंती इस साल 17 जून यानी की आज के दिन मनाई जा रही हैं वही कबीर दास की वाणी को अमृत के समान माना जाता हैं जो मनुष्य को आज भी एक नया जीवन देने का कार्य करती हैं। वही कबीर दास जी के दोहे गागर में सागर के समान हैं तो आज हम आपको कबीर दास जी के ऐसे ही लोकप्रिय दोहे के अर्थ के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।कबीर जयंती पर पढ़ें उनकी अमृतवाणी

दोहा—
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
अर्थ—
कबीर दास जी कहते हैं कि जब मैं इस संसार में बुराई ढूंढने निकला तो मुझे खुद बुरा कोई नहीं मिला। जब मैंने अपने अंदर झांक कर देखा तो मुझे एहसास हुआ कि इस संसार में मुझसे बुरा कोई व्यक्ति नहीं हैं।कबीर जयंती पर पढ़ें उनकी अमृतवाणी

दोहा—
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।
अर्थ—
कबीर दास कहते हैं कि इस संसार को चलाने के लिए ऐसे व्यक्ति की जरूरत हैं, जैसे अनाज साफ करने वाला सूप होता हैं। जो साफ समान को बचा लेता हैं और गंदा को बाहर निकालकर फेंक देता हैं। कबीर जयंती पर पढ़ें उनकी अमृतवाणीदोहा—
तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
अर्थ—
संत कबीरदास जी कहते हैं, कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। जैसे एक छोटे से तिनके को आप कुचलकर आगे बढ़ जाते हैं अगर वही तिनका आपके आंख में पड़ जाएं तो आपको बहुत ही पीड़ा होगी आप कोई काम नहीं कर पाएंगे। कबीर जयंती पर पढ़ें उनकी अमृतवाणी

कबीर दास जी कहते हैं कि जब मैं इस संसार में बुराई ढूंढने निकला तो मुझे खुद बुरा कोई नहीं मिला। जब मैंने अपने अंदर झांक कर देखा तो मुझे एहसास हुआ कि इस संसार में मुझसे बुरा कोई व्यक्ति नहीं हैं। कबीर दास कहते हैं कि इस संसार को चलाने के लिए ऐसे व्यक्ति की जरूरत हैं, जैसे अनाज साफ करने वाला सूप होता हैं। जो साफ समान को बचा लेता हैं और गंदा को बाहर निकालकर फेंक देता हैं। कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। जैसे एक छोटे से तिनके को आप कुचलकर आगे बढ़ जाते हैं अगर वही तिनका आपके आंख में पड़ जाएं तो आपको बहुत ही पीड़ा होगी आप कोई काम नहीं कर पाएंगे। कबीर जयंती पर पढ़ें उनकी अमृतवाणी

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