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कालभैरव की पूजा से हो जाते है सारे कष्ट दूर

कालभैरव भगवन शिव की अवतार माने जाते हैं और ये कुत्ते की सवारी करते हैं। भगवान कालभैरव को रात्रि का देवता भी कहा जाता हैं। कालभैरव काशी के कोतवाल भी हैं। भैरव की पूजा से लंबी उम्र की मनोकामना पूरी हो जाती हैं। काल भैरव की आराधना का समय मध्य रात्रि में 12 से 3 बजे का माना जाता हैं। भगवान भैरव की उपासना में चमेली का पुष्प अर्पित किया जाता हैं।
कालभैरव की पूजा से हो जाते है सारे कष्ट दूर

आपको बता दें कि कालभैरव अष्टमी आने वाली हैं इस पर्व का विशेष महत्व होता हैं। वही कालभैरव दो शब्दों से मिलकर बना हैं, काल और भैरव। काल का मतलब है मृत्यु, डर और अंत। वही भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला यानी जिसने भय पर भी विजय हासिल किया हो। काल भैरव की आराधना करने से मृत्यु का भय भी दूर हो जाता हैं और कष्टों से भी व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती हैं।

कालभैरव की पूजा से हो जाते है सारे कष्ट दूर

वही कालभैरव भगवान शिव का रौद्र रूप माने जाते हैं काल भैरव की आराधन से रोगो और दुखों से निजात मिल जाता हैं। बता दे कि मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी के रूप में मनाई जाती हैं। 19 नंवबर को कालभैरव अष्टमी हैं। इन्हें बीमारी, भय, संकट और दुख को हरने वाले स्वामी माने जाते हैं। इनकी पूजा से हर तरह की मानसिक और शारीरिक परेशानियों से मुक्ति मिल जाती हैं।कालभैरव की पूजा से हो जाते है सारे कष्ट दूर

आपको बता दें कि कालभैरव भगवन शिव की अवतार माने जाते हैं और ये कुत्ते की सवारी करते हैं। भगवान कालभैरव को रात्रि का देवता भी कहा जाता हैं। कालभैरव काशी के कोतवाल भी कहे जाते हैं। भैरव की पूजा से लंबी उम्र की मनोकामना पूरी हो जाती हैं। काल भैरव की आराधना का समय मध्य रात्रि में 12 से 3 बजे का माना जाता हैं। भगवान भैरव की उपासना में चमेली का पुष्प अर्पित किया जाता हैं। वही भैरव मंत्र, चालीसा, जाप और हवन से मृत्यु का भय भी दूर हो जाता हैं। वही शनिवार और मंगलवार के दिन भैरव पाठ करने से भूत प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिल जाती हैं।

कालभैरव की पूजा से हो जाते है सारे कष्ट दूर

कालभैरव भगवन शिव की अवतार माने जाते हैं और ये कुत्ते की सवारी करते हैं। भगवान कालभैरव को रात्रि का देवता भी कहा जाता हैं। कालभैरव काशी के कोतवाल भी हैं। भैरव की पूजा से लंबी उम्र की मनोकामना पूरी हो जाती हैं। काल भैरव की आराधना का समय मध्य रात्रि में 12 से 3 बजे का माना जाता हैं। भगवान भैरव की उपासना में चमेली का पुष्प अर्पित किया जाता हैं। कालभैरव की पूजा से हो जाते है सारे कष्ट दूर

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