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शिव के भैरव अवतार से मिलती है अवगुण त्यागने की सीख

भगवान काल भैरव को शिव का पूर्ण रूप माना जाता हैं भगवान शिव के इस अवतार से व्यक्ति अवगुणों को त्यागना सीखना चाहिए। भैरव बाबा के बारे में प्रचलित हैं कि ये अति क्रोधी, तामसिक गुणों वाले और मदिरा के सेवन करने वाले हैं। इस अवतार का मूल उद्देश्य हैं कि मनुष्य अपने सभी अवगुण जैसे मदिरापान, तामसिक भोजन, क्रोधी स्वभाव आदि भैरव को समर्पित कर पूर्णत: आचरण करें
शिव के भैरव अवतार से मिलती है अवगुण त्यागने की सीख

हिंदू धर्म में कालभैरव अष्टमी का विशेष महत्व होता हैं। वही मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरवअष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं इस दिन शिव के रूप कालभैरव रूप की आराधना की जाती हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक इसी दिन भगवान शंकर ने कालभैरव अवतार लिया था। इस बार कालभैरवाष्टमी आज यानी की 19 नंवबर को मनाई जा रही हैं।शिव के भैरव अवतार से मिलती है अवगुण त्यागने की सीख

भगवान काल भैरव को शिव का पूर्ण रूप माना जाता हैं भगवान शिव के इस अवतार से व्यक्ति अवगुणों को त्यागना सीखना चाहिए। भैरव बाबा के बारे में प्रचलित हैं कि ये अति क्रोधी, तामसिक गुणों वाले और मदिरा के सेवन करने वाले हैं। इस अवतार का मूल उद्देश्य हैं ​कि मनुष्य अपने सभी अवगुण जैसे मदिरापान, तामसिक भोजन, क्रोधी स्वभाव आदि भैरव को समर्पित कर पूर्णत: आचरण करें। शिव के भैरव अवतार व्यक्ति को यह शिक्षा देता हैं कि हर कार्य सोच विचार कर करना ही ठीक होता हैं बना विचारे कार्य करने से पद व प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती हैं।शिव के भैरव अवतार से मिलती है अवगुण त्यागने की सीख

आपको बता दें कि भगवान भैरवनाथ तंत्र मंत्र विधाओं के देवता भी माने जाते हैं। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रह जाती हें शिव और शाक्त दोनों संप्रदायों में भगवान शिव की पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इनके 52 रूप माने जाते हैं इनकी कृपा प्राप्त करके भक्त निर्भय और सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं भैरवनाथ अपने भक्तों की रक्षा करते हैं वे सृष्टि की रचना, पालन और संहार करते हैं। भगवान कालभैरव की आराधना करने से परिवार में सुख शांति और समृद्धि व स्वास्थ्य की रक्षा होती हैं।शिव के भैरव अवतार से मिलती है अवगुण त्यागने की सीख

भगवान काल भैरव को शिव का पूर्ण रूप माना जाता हैं भगवान शिव के इस अवतार से व्यक्ति अवगुणों को त्यागना सीखना चाहिए। भैरव बाबा के बारे में प्रचलित हैं कि ये अति क्रोधी, तामसिक गुणों वाले और मदिरा के सेवन करने वाले हैं। इस अवतार का मूल उद्देश्य हैं ​कि मनुष्य अपने सभी अवगुण जैसे मदिरापान, तामसिक भोजन, क्रोधी स्वभाव आदि भैरव को समर्पित कर पूर्णत: आचरण करें शिव के भैरव अवतार से मिलती है अवगुण त्यागने की सीख

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