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पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि, सुबह उठ जरूर करें ये काम

अमावस्या और पूर्णिमा सोमवार को पड़ने से भगवान शिव और चंद्रमा दोनों प्रसन्न होते हैं इन दोनों की कृपा धरती वासियों को मिल जाती हैं, ज्येष्ठ पूर्णिमा से अगले दिन आषाढ़ मास प्रारंभ होगा, जिसका समापन 16 जुलाई को चंद्र ग्रहण के साथ होगा। वह पूर्णिमा मंगलवार को पड़ेगीं संयोग यह हैं, कि आषाढ़ मास की अमावस्या भी मंगलवार को ही पड़ेगी। र्णिमा वाले दिन जल्दी उठे और सभी देवी देवता की पूजा करने के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र में जलभर अर्घ्य दें। तांबे के पात्र में जल के साथ चावल और लाल पुष्प भी रखना चाहिए।
पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि, सुबह उठ जरूर करें ये काम

आपको बता दें, कि हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या को बहुत ही शुभ और विशेष ति​थि माना जाता हैं वही इस बार पूर्णिमा सोमवार के दिन पड़ रही हैं इसके साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। वही ज्योतिष के मुताबिक ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व बहुत हैं, ज्योतिष में अगर किसी मनुष्य की कुंडली में सूर्य गलत भाव में हैं उसके मान सम्मान में गिरावट आती हैं जबकि इसके विपरीत सूर्य की शुभ स्थिति में यश बढ़ता हैंपूर्णिमा व्रत और पूजा विधि, सुबह उठ जरूर करें ये काम वही सूर्य का शुभ फल प्राप्त करने के लिए पूर्णिमा पर सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए। वही संयोग यह हैं, कि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या भी सोमवार के ही दिन पड़ी थी। 15 दिन बाद अब शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा भी सोमवार के ही दिन पड़ी थी 15 दिन बाद अब शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा भी सोमवार को पड़ रही हैं यह स्नान ज्येष्ठ नक्षत्र में होगा। ज्येष्ठ मास की समापन पूर्णिमा को ज्येष्ठा नक्षत्र आना ज्योतिष की दृष्टि से बेहद शुभ माना गया हैं।पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि, सुबह उठ जरूर करें ये काम

वही यह भी मान्यता हैं, कि अमावस्या और पूर्णिमा सोमवार को पड़ने से भगवान शिव और चंद्रमा दोनों प्रसन्न होते हैं इन दोनों की कृपा धरती वासियों को मिल जाती हैं, ज्येष्ठ पूर्णिमा से अगले दिन आषाढ़ मास प्रारंभ होगा, जिसका समापन 16 जुलाई को चंद्र ग्रहण के साथ होगा। वह पूर्णिमा मंगलवार को पड़ेगीं संयोग यह हैं, कि आषाढ़ मास की अमावस्या भी मंगलवार को ही पड़ेगी। पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि, सुबह उठ जरूर करें ये कामपूर्णिमा वाले दिन जल्दी उठे और सभी देवी देवता की पूजा करने के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र में जलभर अर्घ्य दें। तांबे के पात्र में जल के साथ चावल और लाल पुष्प भी रखना चाहिए। वही जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि, सुबह उठ जरूर करें ये काम

अमावस्या और पूर्णिमा सोमवार को पड़ने से भगवान शिव और चंद्रमा दोनों प्रसन्न होते हैं इन दोनों की कृपा धरती वासियों को मिल जाती हैं, ज्येष्ठ पूर्णिमा से अगले दिन आषाढ़ मास प्रारंभ होगा, जिसका समापन 16 जुलाई को चंद्र ग्रहण के साथ होगा। वह पूर्णिमा मंगलवार को पड़ेगीं संयोग यह हैं, कि आषाढ़ मास की अमावस्या भी मंगलवार को ही पड़ेगी। र्णिमा वाले दिन जल्दी उठे और सभी देवी देवता की पूजा करने के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र में जलभर अर्घ्य दें। तांबे के पात्र में जल के साथ चावल और लाल पुष्प भी रखना चाहिए। पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि, सुबह उठ जरूर करें ये काम

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