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मंदी का कंपनियों पर ये असर! हजारों कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट

पारले, मारुति सुजुकी और बीएसएनएल जैसी दिग्गज कंपनियों पर आर्थिक सुस्ती का असर छाया रहा। इसके चलते कंपनियों ने एम्पलॉय की नौकरियों में कटौती की है। जेट एयरवेज बंद होने से कई लोग बेरोजगार हो गए। एयर इंडिया और रेलवे के नीजिकरण को लेकर भी कर्मचारियों को नौकरी पर तलवार लटकने का डर सता रहा है।
मंदी का कंपनियों पर ये असर!  हजारों कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट

नई दिल्ली। पारले, मारुति सुजुकी और बीएसएनएल जैसी दिग्गज कंपनियों पर आर्थिक सुस्ती का असर छाया रहा। इसके चलते कंपनियों ने एम्पलॉय की नौकरियों में कटौती की है। जेट एयरवेज बंद होने से कई लोग बेरोजगार हो गए। एयर इंडिया और रेलवे के नीजिकरण को लेकर भी कर्मचारियों को नौकरी पर तलवार लटकने का डर सता रहा है।

अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज ने अमृतसर से मुंबई के लिए अपनी आखिरी उड़ान भरी थी। इसके बाद एयरलाइन को चालू रखने के लिए अधिक धनराशि देने से उधारदाताओं ने मना कर दिया। आखिरी उड़ान के साथ, 16,000 से अधिक कर्मचारियों की नौकरियों पर तलवार लटक गई। लगभग 400 पायलट पहले ही अन्य एयरलाइंस में चले गए थे। लगभग 40 इंजीनियरों ने एयरलाइन को भी छोड़ दिया था।

भारत में सबसे बड़े बिस्कुट निर्माताओं में से एक पारले कंपनी भी साल 2019 में एक कठिन दौर से गुज़री। कंपनी ने देश के ग्रामीण भागों में धीमी आर्थिक गति और घटती मांग के कारण 10,000 नौकरियों में कटौती की है। इसके चलते कंपनी ने 8,000-10,000 लोगों की छंटनी को लेकर भी कहा था।

मंदी का कंपनियों पर ये असर!  हजारों कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट

मोदी सरकार एयर इंडिया को भी नीजि हाथों में सौंपने की योजना बना रही है। इसके चलते एयर इंडिया के कर्मचारियों के नौकरी पर तलवार लटकती दिख रही है। केंद्र सरकार 150 ट्रेनों को निजी हाथों में देने की योजना बना रही है। इसके चलते कई रेलवे कर्मचारियों की नौकर अधर में लटकती दिख रही है।

टाटा मोटर्स के कर्मचारी लागत-कटौती की योजना पिछली बार की तुलना में अधिक तेज रही। 2019 में मोटर वाहन क्षेत्र सबसे अधिक नकारात्मक रूप से प्रभावित रहा है। अर्थव्यवस्था को मंदी का सामना करना पड़ा। जेएलआर में अधिशेष कर्मचारियों को हटाने के अलावा, टाटा मोटर्स अब सभी स्थानों पर 1,600 से अधिक लोगों से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की है।

साल 2019 के दौरान बीएसएनएल और एमटीएनएल पर घाटे का असर देखने को मिला है। बीएसएनएल ने 90, 000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा अर्जित किया। यह रिलायंस जियो और भारती एयरटेल से प्रतिस्पर्धा करने में बीएसएनएल की अक्षमता का परिणाम है।

मंदी का कंपनियों पर ये असर!  हजारों कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट

बीएसएनएल के कुल 1.50 लाख कर्मचारियों में से 57,000 वीआरएस पहले ही ले चुके हैं। वीआरएस के लिए बीएसएनएल के आंतरिक लक्ष्य 77,000 कर्मचारियों के साथ आंका गया है, कर्मचारियों की संख्या आधे से नीचे आ गई है।

ऑटो उद्योग की मंदी के कारण मारुति सुजुकी ने अपने अस्थायी कर्मचारियों की संख्या में कटौती की। यह 30 जून को समाप्त होने के दौरान औसतन 18,845 पर आ गया, जो पिछले साल की समान अवधि से 30 प्रतिशत थी। अप्रैल से इन जॉब तेजी से कमी आई।

पारले, मारुति सुजुकी और बीएसएनएल जैसी दिग्गज कंपनियों पर आर्थिक सुस्ती का असर छाया रहा। इसके चलते कंपनियों ने एम्पलॉय की नौकरियों में कटौती की है। जेट एयरवेज बंद होने से कई लोग बेरोजगार हो गए। एयर इंडिया और रेलवे के नीजिकरण को लेकर भी कर्मचारियों को नौकरी पर तलवार लटकने का डर सता रहा है। मंदी का कंपनियों पर ये असर! हजारों कर्मचारियों की नौकरियों पर संकट

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