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ज्योतिर्विद के अनुसार इस दिन रखा जाएगा जितिया व्रत

आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को माताएं जीमूतवाहन की पूजा करती हैं जीमूतवाहन गंधर्व राजकुमार था। जिसने वृद्धा के पुत्र की जान बचाई की थी। वही इसलिए जितिया में कुश से जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर इसकी पूजा अर्चना की जाती हैं मिट्टी और गोबर से चील सियारन की प्रतिमा भी बनाई जाती हैं इस व्रत में माता जीवित्पुत्रिका और राजा जीमूतवाहन दोनो की सम्यक रूप से पूजा की जाती
ज्योतिर्विद के अनुसार इस दिन रखा जाएगा जितिया व्रत

हिंदू धर्म में जितिया व्रत को बहुत ही खास महत्व दिया गया हैं वही पुत्र की दीर्घीयुष्य और कुशलता के लिए अश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यह व्रत रखा जाता हैं वही इस साल यह जिउतिया का व्रत 22 सितंबर दिन रविवार को रखा जाएगा। वही ज्योतिर्विद के मुताबिक अष्टमी तिथि शनिवार 21 सितंबर को नहाई खाई होगा।ज्योतिर्विद के अनुसार इस दिन रखा जाएगा जितिया व्रतजिउतिया व्रत में कुछ भी खाया या पिया नहीं जाता हैं इसलिए यह निर्जला व्रत कहलाता हैं वही उपवास का पारण अगले दिन सुबह किया जाता हैं जिसके बाद आप कैसा भी भोजन ग्रहण कर सकते हैं वही इस व्रत को करते समय केवल सूर्योदय से पहले ही कुछ खा सकते हैं।ज्योतिर्विद के अनुसार इस दिन रखा जाएगा जितिया व्रत

नहाई खाय सप्तमी तिथि 21 सितंबर 2019 दिन शनिवार को—
अष्टमी एवं व्रत का मुख्य दिन 22 सितंबर 2019 दिन रविवार को। अष्टमी तिथि शनिवार 21 सितंबर को दिन में 3:30 बजे लग जायेगी। जो रविवार को 2:29 बजे तक व्याप्त रहेगी। सुबह 08:08 बजे तक मृगशिरा नक्षत्र, उसके बाद आर्द्रा नक्षत्र, व्यतिपात योग, सौम्य योगा, एवं अष्टमी का श्राद्ध इस दिन होगा।ज्योतिर्विद के अनुसार इस दिन रखा जाएगा जितिया व्रत

पारण 23 सितंबर 2019 दिन सोमवार को सूर्योदय के बाद कभी भी—
वही आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को माताएं जीमूतवाहन की पूजा करती हैं जीमूतवाहन गंधर्व राजकुमार था। जिसने वृद्धा के पुत्र की जान बचाई की थी। वही इसलिए जितिया में कुश से जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर इसकी पूजा अर्चना की जाती हैं वही इसमें मिट्टी और गोबर से चील सियारन की प्रतिमा भी बनाई जाती हैं इस व्रत में माता जीवित्पुत्रिका और राजा जीमूतवाहन दोनो की सम्यक रूप से पूजा और पुत्रों की लम्बी आयु के लिए प्रार्थन की जाती हैं। ज्योतिर्विद के अनुसार इस दिन रखा जाएगा जितिया व्रत

आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को माताएं जीमूतवाहन की पूजा करती हैं जीमूतवाहन गंधर्व राजकुमार था। जिसने वृद्धा के पुत्र की जान बचाई की थी। वही इसलिए जितिया में कुश से जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर इसकी पूजा अर्चना की जाती हैं मिट्टी और गोबर से चील सियारन की प्रतिमा भी बनाई जाती हैं इस व्रत में माता जीवित्पुत्रिका और राजा जीमूतवाहन दोनो की सम्यक रूप से पूजा की जाती ज्योतिर्विद के अनुसार इस दिन रखा जाएगा जितिया व्रत

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