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संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला रखा जाता है यह व्रत

जिउतिया व्रत का विशेष महत्व होता हैं वही उत्तर प्रदेश और बिहार में संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं जिउतिया का निर्जला व्रत रखती हैं वही अश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन यह व्रत रखा जाता हैं और अगले दिन इसका पारण भी किया जाता हैं वही इस व्रत को रखने वाली महिलाएं रात में सरगी खाकर महिलाएं व्रत को शुरू करते हैं।
संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला रखा जाता है यह व्रत

आपको बता दें, कि हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं मगर जिउतिया व्रत का विशेष महत्व होता हैं वही उत्तर प्रदेश और बिहार में संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं जिउतिया का निर्जला व्रत रखती हैं वही अश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन यह व्रत रखा जाता हैं और अगले दिन इसका पारण भी किया जाता हैं वही इस व्रत को रखने वाली महिलाएं रात में सरगी खाकर महिलाएं व्रत को शुरू करते हैं।संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला रखा जाता है यह व्रत वही इस व्रत को जिउतिया या जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता हैं वही अश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत का बड़ा महात्म्य हैं गोबर मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा कुश के जीमूतवाहन व मिट्टी गोबर से सियारिन व चूल्होरिन की प्रतिमा बनाकर व्रती महिलाएं जिउतिया पूजा करेंगी। वही फल फूल, नैवेद्य चढ़ाए जाएंगे। वही जिउतिया व्रत में सरगही या ओठगन की परंपरा भी हैं। संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला रखा जाता है यह व्रतवही इस व्रत सतपुतिया की सब्जी का विशेष महत्व होता हैं, रात को बने अच्छे पकवान में से पितरों, चील, सियार, गाय और कुत्ता का अंश निकाला जाता हैं वही सरगी में मिष्ठान आदि भी होता हैं। मिथिला में मड़ुआ रोटी और मछली खाने की परंपरा जिउतिया व्रत से एक दिन पहले सप्तमी को मिथिलांचल वासियों में भोजन में मड़ुआ रोटी व मछली खायी जाती हैं व्रत से एक दिन पहले आश्विन कृष्ण सप्तमी को व्रती महिलाएं भोजन में मड़ुआ की रोटी व नोनी की साग बनाकर खाएंगी। वही ज्योतिष के मुताबिक व्रती संतान की खातिर मड़ुआ रोटी व नोनी साग का सेवन करती हैं।
संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला रखा जाता है यह व्रत

जिउतिया व्रत का विशेष महत्व होता हैं वही उत्तर प्रदेश और बिहार में संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं जिउतिया का निर्जला व्रत रखती हैं वही अश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन यह व्रत रखा जाता हैं और अगले दिन इसका पारण भी किया जाता हैं वही इस व्रत को रखने वाली महिलाएं रात में सरगी खाकर महिलाएं व्रत को शुरू करते हैं। संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला रखा जाता है यह व्रत

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