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12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही खास होता है ये दिन भगवान कृष्ण की पूजा का दिन माना जाता हैं वही जब जब धरती पर अत्याचार अधिक हो जाता हैं, धर्म का पतन हुआ है तब तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की हैं भगवान का अवतार
12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही खास होता है ये दिन भगवान कृष्ण की पूजा का दिन माना जाता हैं वही जब जब धरती पर अत्याचार अधिक हो जाता हैं, धर्म का पतन हुआ है तब तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की हैं भगवान का अवतार मानव के आरोहण के लिए होता हैं जगत की रक्षा, दुष्टों का संहार और धर्म की पुर्नस्थापना ही हर अवतार का उद्देश्य मानी जाती हैं। 12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथाभगवान कृष्ण परम पुरुषोत्तम का जन्म भाद्रपद की अष्ठमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ। उनके जन्म लेते ही दिशाएं स्वच्छ व प्रसन्न और सभी पृथ्वी मंगलमय हो गई थी। भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के प्रकट होते ही जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा

वासुदेव देवकी के सामने शंख, चक्र, गदा और पद्मधारी चतुर्भुज भगवान ने अपना रूप प्रकट कर कहा अब मैं बालक रूप धारण करता हूं। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहां पहुंचा दो और उनकी अभी अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दो। तभी वासुदेव की हथकड़ियां खुल गयी, दरवाजे अपने आप खुल गए व पहरेदार सो गए। वासुदेव श्रीकृष्ण को सूप में रखकर गोकुल को चल दिए। मार्ग में यमुना श्रीकृष्ण भगवान के चरणों को स्पर्श करने के लिए ऊपर बढ़ने लगी।12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा भगवान कृष्ण ने अपने श्री चरण लटका दिए और चरण छूने के बाद यमुना जी घट गयी। बालक कृष्ण को यशोदा के बगल में सुलाकर कन्या को वापस लेकर वासुदेव कंस के कारागार में वापस आ गए। कसं ने कारागार में आकर कन्या को लेकर पत्थर पर पटककर मारना चाहा मगर वह कंस के हाथ से छूटकर आकाश में उड़ गई ओर देवी का रूप धारण कर बोली हे कंस। मुझे मारने से क्या लाभ होगा। तेरा शत्रु तो गोकुल में पहुंच चुका हैं यह देखकर कंस हतप्रद और व्याकुल हो गया। भगवान कृष्ण के प्राकट्य से स्वर्ग में देवताओं की दुन्दुभियां अपने आप बज उठी। सिद्ध और चारण भगवान के मंगलमय गुणों की स्तुति करने लगे।12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा

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