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ये था वो गुमनाम शख्स जो देश के लिए लाया था पहला ओलम्पिक मेडल, आखिर क्यों आज नीलाम करने को है मजबूर

ओलम्पिक में भले भारत का प्रदर्शन उतार चढ़ाव वाला रहा हो पर, देश का हर नागरिक उस इंसान के बारें में जरुर जानना चाहेंगे जो भारत के लिए पहला ओलम्पिक मेडल लेकर आया था। बता दें की हाल ही में पता चलता है कि देश का पहला मेडल नीलाम हो सकता है । ये भी
ये था वो गुमनाम शख्स जो देश के लिए लाया था पहला ओलम्पिक  मेडल, आखिर क्यों आज नीलाम करने को है मजबूर

ओलम्पिक में भले भारत का  प्रदर्शन उतार चढ़ाव वाला  रहा हो पर,  देश का हर नागरिक उस इंसान के बारें में जरुर जानना चाहेंगे जो भारत  के लिए पहला ओलम्पिक मेडल लेकर आया था। बता दें की हाल ही में पता चलता है कि देश का पहला मेडल नीलाम हो सकता है ।

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भारत के लिए पहला मेडल जीतने वाले उस गुमनाम शख्स का नाम था खाशबा दादासाहब जाधव। अब बात ये निकलकर आई है कि उनके बेटे रंजीत जाधव  महाराष्ट्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा  रहे हैं,  और एकडेमी बनाने के लिए पदक नीलाम करने  की बात कही है।

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बता दें की दादासाहब जाधव ने 1952 समर ओलोम्पिक में कुश्ती में ब्रांच मेडल जीता था।  दरअसल दादासाहब के बेटे  रंजीत जाधव का अरोप है कि साल 2009 में महाराष्ट्र के स्पोर्ट्स मिनिस्टर दिलीप राव ने  दादासाहब के नाम पर अकेडमी बनाने के लिए 1 करोड़ दिए जाने की बात कही थी।

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 साथ ही साल 2013 में 1.58 करोड़ रुपए मंजूर किए गए, और इसको लेकर दो बार टेंडर भी निकाल गए, लेकिन फिर भी कुछ नहीं ,और इसको लेकर कई बार सरकार  को पत्र भी लिखे गए, पर उनका इस संदर्भ में कोई जवाब निकलकर सामने नहीं आया ।

इसके बाद रंजीत ने कहा है कि ‘ मैंने सरकार से कहा  है कि अगर उनके पास पैसे ना हो तो मेैं पिताजी का मेडल देता हूं,  उसे नीलाम करके एकडेमी बनवा दें । सात रंजीत से की ओर से यह भी आरोप लगाया गया है कि 1997 में दादासाहब के नाम पर जो चैंपियनशिप शुरु की गई थी उसे 2015 में बंद कर  दिया गया है, और उसे फिर से शुरु किया जाना चाहिए ।

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बता दें की दादा साहब ने पहली बार ओलोम्पिक 1948  में भाग लिया  था, और तब कोल्हापुर के महाराजा ने उनका खर्चा उठाया था, पर उन्होंने कुश्ती में मैच नहीं जीता था, पर 1952 में ओलोम्पिक के लिए क्वालीफाई किया, पर यहां जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, चंदा इकट्टा करके पैसे जुटाए, सरकार से कई बार गुहार लगाने पर चार हजार की राशि मिली पाई ।

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वैसे दादासाहब के नाम बॉलीवुड अभिनेता रितेश देश मुख ‘पॉकेट डायनेमो’ नाम की फिल्म बना रहे हैं , और यह फिल्म हिन्दी के अलावा मराठी भाषा में आएगी । साथ दादा  साहब जाधव को 1983 में फाय फाउंडेशन ने ‘ जीवन गौरव’ अवार्ड से सम्मानित किया है । इन्हें 1990 में मरोणापरांत नागेश्वर आवार्ड से नवाजा  गया है , साथ उनकी मौत के बाद अर्जुन आवार्ड भी दिया गया है ।

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