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जितना दिखता है उतना आसान नहीं है अंतरिक्ष में रहना

जयपुर। जैसा कि हम जानते है कि द्रव जल जीवन के लिये आवश्यक है, इसके बिना मानव जीवन संभव नही है। इसलिये मानव अंतरिक्ष अण्वेषण मे सबसे पहले जल खोजा जाता है। अब तक चंद्रमा, मंगल, युरोपा और एन्सलेडस पर जल की उपस्थिति के प्रमाण मिल है और वैज्ञानिकों ने इन तारों पर इंसानों को
जितना दिखता है उतना आसान नहीं है अंतरिक्ष में रहना

जयपुर। जैसा कि हम जानते है कि द्रव जल जीवन के लिये आवश्यक है, इसके बिना मानव जीवन संभव नही है।  इसलिये मानव अंतरिक्ष अण्वेषण मे सबसे पहले जल खोजा जाता है। अब तक चंद्रमा, मंगल, युरोपा और एन्सलेडस पर जल की उपस्थिति के प्रमाण मिल है और वैज्ञानिकों ने इन तारों पर इंसानों को ले जाने के लिए भी कई शोध कर तैयारी कर रहा है। इसमे युरोपा और एन्सलेडस पर जल द्रव रूप मे उपस्थित है, जबकी चंद्रमा पर जल हिम के रूप मे उपस्थित है। मंगल पर जल के हिम रूप मे होने के ठोस प्रमाण हैजितना दिखता है उतना आसान नहीं है अंतरिक्ष में रहना

लेकिन द्र्व रूप मे उपस्तिथि के अस्पष्ट प्रमाण है इसके लिए हाल ही में वैज्ञानिकों एक झील मिली है जिसमें जल द्रव के रूप में पाया है और काफी मात्रा में पाया गया है वैज्ञानिकों का मानना है कि इस झील में पानी पिने लायक नहीं है। क्योकि इसमें काफी मात्रा में की मिनरल्स है जो शरीर को नुकसान पहुँचा सकता है। जीवन की दूसरी आवश्यकता ऐसे वातावरण की उपस्थिति है जिसमे मानव बिना अंतरिक्ष सूट के रह सकें। दुर्भाग्य से सौर मंडल मे पृथ्वी के अलावा किसी भी अन्य ग्रह पर ऐसा वातावरण नही है जहां आसानी से ग्रह पर विचरण किया जा सकेंजितना दिखता है उतना आसान नहीं है अंतरिक्ष में रहना

जैसे कि इसके कुछ उदाहरण आपको देते है बुध ग्रह पर वातावरण ही नही है, शुक्र का वातावरण अत्यंत घना है, बृहस्पति, शनि , युरेनस , नेपच्युन पर वातावरण है लेकिन ठोस धरातल नही है। चंद्रमाओ मे युरोपा और एन्सलेडस पर भी वातावरण नही है। शेष रह जाता है मंगल जिस पर वातावरण है लेकिन विरल है, आक्सीजन की उपस्थिति तो है लेकिन कार्बन डाय आक्साइड जानलेवा है और इसको अलावा चुंबकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति के कारण घातक रूप से सौर विकिरण है। इन सबका अर्थ यही है कि पृथ्वी से बाहर सौर मंडल मे जीना आसान नही है।जितना दिखता है उतना आसान नहीं है अंतरिक्ष में रहना

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