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क्या इंसानों का खून पीना एक लत है

जयपुर। लुइज़ियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जॉन एडगर ब्राउनिंग के ‘रक्तदान’ का एक ख़ास सत्र रक्तदान करने पहुंचे तो वहां के एक शक्स ने की ब्राउनिंग की पीठ को एल्कोहल से हिस्सा साफ़ किया। फिर उनकी पीठ पर डिस्पोज़बल छुरी से एक कट लगाया जिससे शरीर से ख़ून निकलने लगा। फिर उसने ख़ून पीना शुरू
क्या इंसानों का खून पीना एक लत है

जयपुर। लुइज़ियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जॉन एडगर ब्राउनिंग के ‘रक्तदान’ का एक ख़ास सत्र रक्तदान करने पहुंचे तो वहां के एक शक्स ने की ब्राउनिंग की पीठ को एल्कोहल से हिस्सा साफ़ किया। फिर उनकी पीठ पर डिस्पोज़बल छुरी से एक कट लगाया जिससे शरीर से ख़ून निकलने लगा। फिर उसने ख़ून पीना शुरू कर दिया।क्या इंसानों का खून पीना एक लत है

ब्राउनिंग को हैरानी हुई जब ख़ून पीने वाले ने उनसे कहा कि उनके ख़ून में मैटेलिक तत्वों की मात्रा कम है और ये उसके टेस्ट के मुताबिक़ नहीं है। दरअसल ब्राउनिंग, लुइज़ियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर हैं वे न्यूऑरलींस रियल वैम्पायर समुदाय पर हो रहे शोध से जुड़े हैं। अमरीका में ही हज़ारों लोग हैं जिन्हें ख़ून पीने की लत है।क्या इंसानों का खून पीना एक लत है

पहले ब्राउनिंग मानते थे कि ब्लड फीडिंग बस एक तरह की तांत्रिक गतिविधि या कोई धार्मिक कांड है। लेकिन तब तक वो उन लोगों से नहीं मिले थे जो इंसान का ख़ून पीते हैं। इतिहास में ऐसी कई मिसाल मिलती है जब इंसानी ख़ून को अचूक इलाज माना जाता रहा है। डरहम यूनिवर्सिटी के रिचर्ड सुग ने हाल में ‘कॉर्प्स मेडिसिन’ (लाशों से दवा) नाम की किताब लिखी है।क्या इंसानों का खून पीना एक लत है

वो मानव रक्त पीने वालो पर किताब लिख रहे हैं। इंसानी ख़ून पीने की आदत वाले लोगों के कई रूप हैं मसलन ख़ून पीने वाली नर्सें, बार स्टॉफ़, सेक्रेटरी या फिर ऐसे ही कई अन्य पेशेवर लोग जो सामान्य नौकरियां करते हैं। इनमें कई चर्च जाने वाले क्रिश्चियन हैं तो दूसरे धर्मों को मानने वाले लोग भी हैं. कई बार ये भी देखा गया कि ये लोग ख़ूब परोपकारी भी होते हैं। ऐसे कई ‘वैम्पायर’ होते हैं जिनके लिए ख़ून पीना एक मनोवैज्ञानिक ज़रूरत बन जाता हैक्या इंसानों का खून पीना एक लत है

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