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असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन  , उनके तनाव ,

असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन , उनके तनाव , उनकी मानसिक स्थिति का उनकी घरेलू स्थिति को देख कर इस दिन को मनाने की जरूरत पड़ी । ऐसा नही है की हिंसा का शिकार या किसी भी उत्पीड़न का शिकार सिर्फ महिलाएं ही होती आई है । असल में पुरुष भी महिलाओं के बराबर ही इस परेशानी का शिकार हैं । मेन्स डे मनाने की शुरुआत 1999 में हो गई थी.
असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन  , उनके तनाव ,

 

जयपुर । आज इंटर नेशनल मेन्स डे है । जिस तरह से 8 मार्च को इंटर नेशनल वुमन्स डे मनाया जाता है वैसे ही 19 नवंबर को इंटेरनेशनल मेन्स डे मनाया जाता है । पर इसको मनाने के पीछे का असल कारण क्या है लोगों को इस बात की सही जानकारी है ही नही और इससे भी बड़ी बात यह है की भारत म,एन तो लोगों यह पता ही नही है ऐसा पुरुषों के लिए भी कुछ होता है ।असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन  , उनके तनाव ,

असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन  , उनके तनाव , उनकी मानसिक स्थिति का उनकी घरेलू स्थिति को देख कर इस दिन को मनाने की जरूरत पड़ी । ऐसा नही है की हिंसा का शिकार या किसी भी उत्पीड़न का शिकार सिर्फ महिलाएं ही होती आई है । असल में पुरुष भी महिलाओं के बराबर ही इस परेशानी का शिकार हैं । मेन्स डे मनाने की शुरुआत 1999 में हो गई थी हालांकि भारत में इसकी शुरुआत 2007 में हुई थी ।असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन  , उनके तनाव ,

किसने की शुरुआत :- समाज और परिवार में पुरुषों को अक्सर बेसब्र, गुस्सैल और हिंसक दिखाया जाता है। फिल्में हों या किताबें, इतिहास में भी उनकी परिभाषा इसी तरह से लिखी गई है। इस सोच को बदलने के लिए वेस्टइंडीज के हिस्ट्री लेक्चरर डॉ।  जीरोम तिलक सिंह ने 19 नवंबर 1999 को इंटरनेशनल मेन्स डे की शुरुआत की। भारत में इसकी शुरुआत 2007 में हुई, जिसका श्रेय हैदराबाद की लेखिका उमा चल्ला को जाता है।असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन  , उनके तनाव ,

क्या है इस दिन का महत्व :-

अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मुख्य रूप से पुरुष और लड़कों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने, लिंग संबंधों में सुधार, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और पुरुष रोल मॉडल्स को उजागर किए जाने के लिए मनाया जाता है।  InternationalMensDay के मुताबिक, दुनिया में महिलाओं से 3 गुना ज्यादा पुरुष सुसाइड करते हैं।  3 में से एक पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार है।  महिलाओं से 4 से 5 साल पहले पुरुष की मौत होती है।  महिलाओं से दोगुना पुरुष दिल की बीमारी के शिकार होते हैं।  पुरुष दिवस पुरुषों की पहचान के सकारात्मक पहलुओं पर काम करता है। हर लड़की को शादी के बाद हक़ होता है की वह अपने मन मुताबित काम कर लें क्या चुनना है क्त्य नही किस तरह का फील्ड वह चुन सकती है जो वह चाहे । पर पुरुषों को कोई आजादी नही मिलती है असल में  उनको वह काम भी करने पड़ते ऐन जो उनके बस के नहीं है उनको ना माँ बाप से आजादी मिलती है ना बीवी से ना ही दूसरी जिम्मेदारियों से ।असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन  , उनके तनाव ,

असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन  , उनके तनाव , उनकी मानसिक स्थिति का उनकी घरेलू स्थिति को देख कर इस दिन को मनाने की जरूरत पड़ी । ऐसा नही है की हिंसा का शिकार या किसी भी उत्पीड़न का शिकार सिर्फ महिलाएं ही होती आई है । असल में पुरुष भी महिलाओं के बराबर ही इस परेशानी का शिकार हैं । मेन्स डे मनाने की शुरुआत 1999 में हो गई थी. असल में मेन्स डे पुरुषों पर हो रहे अत्याचार , उनके पतन  , उनके तनाव ,

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