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संन्यासी होते हुए वात्स्यायन ने लिखा था कामसूत्र

वात्स्यायन ऋषि भारत वर्ष के महान ऋषि थे। इनका जन्म गुप्त वंश के समय का माना गया हैं महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र में न केवल दाम्पत्य जीवन का श्रृंगार किया हैं बल्कि कला, शिल्पकला और साहित्य को भी संपदित किया हैं। कामसूत्र ग्रंथ जिसमें कामुक विषय का गहन ज्ञान मिलता हैं उसके रचनाकार वात्स्यायन स्वयं ब्रह्मचारी और संन्यासी थे।
संन्यासी होते हुए वात्स्यायन ने लिखा था कामसूत्र

आपको बता दें कि वात्स्यायन ऋषि ने कामसूत्र ग्रंथ को तीसरी शताब्दी के बीच में लिखा था। संभोग और कामुक क्रिया पर लिखा गया कामसूत्र ग्रंथ इतना प्रासंगिक हैं कि उसकी चर्चा आज भी होती हैं और भविष्य में भी होती रहेगी।संन्यासी होते हुए वात्स्यायन ने लिखा था कामसूत्र आज भी भारतीय सभ्य समाज में संभोग को लेकर इतनी मुखरता से बातचीत नहीं की जाती हैं, तो सोचिए, एक संन्यासी होते हुए वात्स्यायन ऋषि ने उस काल परिस्थिति में कामुकता के विषय को बड़ी ही सहजता लिख दिया था।Image result for वात्स्यायन ऋषि

जानिए कौन थे वात्स्यायन ऋषि—
बता दें कि वात्स्यायन ऋषि भारत वर्ष के महान ​ऋषि थे। इनका जन्म गुप्त वंश के समय का माना गया हैं महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र में न केवल दाम्पत्य जीवन का श्रृंगार किया हैं बल्कि कला, शिल्पकला और साहित्य को भी संपदित किया हैं। वही इतिहासकारों में वात्स्यायन के नाम और उनके जीवनकाल को लेकर मतभेद हैं कुछ इतिहासकारों का मानना हैं कि नीतिसार के रचयिता कामंदक, जो कि चाणक्य के प्रधान शिष्य थे। Related imageवे ही वात्स्यायन ऋषि थे। वही सुबन्धु द्वारा रचित वासवदत्ता में कामसूत्र के रचनाकार का नाम मल्लनाग बताया गया हैं। यानी की वात्स्यायन का एक नाम मल्लनाग भी था। वही कामसूत्र ग्रंथ जिसमें कामुक विषय का गहन ज्ञान मिलता हैं उसके रचनाकार वात्स्यायन स्वयं ब्रह्मचारी और संन्यासी थे। Image result for वात्स्यायन ऋषिइसके बाद भी उन्हें कामुक विषय की गहन समझ थी। ऐसा कहा जाता हैं कि वात्स्यायन ने कामसूत्र, वेश्यालयों में जाकर देखी गई मुद्राओं को नगरवधुओं और वेश्याओं के अनुभवों को लिखा। वात्स्यायन ऋषि ने कामुकता विषय को कई नए और खूबसूरत आयाम दिए हैं वही बनारस में काफी लंबा वक्त गुजारने वाले वात्स्यायन ऋषि बहुत ही ज्ञानी, दार्शनिक और चारों ​वेदों के ज्ञाता थे।संन्यासी होते हुए वात्स्यायन ने लिखा था कामसूत्र

वात्स्यायन ऋषि भारत वर्ष के महान ​ऋषि थे। इनका जन्म गुप्त वंश के समय का माना गया हैं महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र में न केवल दाम्पत्य जीवन का श्रृंगार किया हैं बल्कि कला, शिल्पकला और साहित्य को भी संपदित किया हैं। कामसूत्र ग्रंथ जिसमें कामुक विषय का गहन ज्ञान मिलता हैं उसके रचनाकार वात्स्यायन स्वयं ब्रह्मचारी और संन्यासी थे। संन्यासी होते हुए वात्स्यायन ने लिखा था कामसूत्र

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